नड्डा का बयान, आरसीपी सिंह या उद्धव के तख्तापलट से लिया सबक
-जदयू सुप्रीमो ने भाजपा से अचानक ही गठबंधन तोड़ने का किया है ऐलान
नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव के महज ढाई साल बाद ही भाजपा और जदयू गठबंधन में दरार आ गई। सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर एनडीए में सम्मान न मिलने की बात कर कर गठबंधन से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया है। ऐसी क्या वजहें थीं कि पांच साल पहले भाजपा के साथ आने का एलान करने वाले नीतीश कुमार ने फिर से गठबंधन तोड़ने का एलान कर दिया, आइए जानते हैं…
फैसले लेने की स्वतंत्रता नहीं मिलना
नीतीश कुमार सरकार में मुख्यमंत्री जरूर रहे, लेकिन भाजपा ने अपना नियंत्रण बरकरार रखने के लिए दो डिप्टी सीएम- तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी भी उनके साथ रखे। नीतीश के लिए अपनी मर्जी से कैबिनेट मंत्रियों को चुनना भी कठिन रहा। वे भाजपा से अपनी बात नहीं मनवा पा रहे थे।
- विधानसभा अध्यक्ष को लेकर नाराजगी
इसी साल मार्च में भाजपा और जदयू के बीच के रिश्तों में दरार की पहली झलक देखने को मिली थी। दरअसल, विधानसभा सत्र के दौरान एक मौके पर सीएम नीतीश कुमार और विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा में लखीसराय में 9 लोगों की हत्या मामले को लेकर जमकर विवाद हुआ था। नीतीश ने सिन्हा पर संविधान उल्लंघन तक का आरोप लगा दिया। माना जाता है कि इस घटना के बाद से ही नीतीश कुमार भाजपा से विधानसभा अध्यक्ष को हटाने की मांग कर रहे थे।
नड्डा का बयान
10 दिन पहले यानी 31 जुलाई को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार में आकर कहा था कि भविष्य में स्थानीय पार्टियों का अस्तित्व ही नहीं बचेगा। नड्डा के इस बयान के जदयू प्रमुख को यह लग गया था कि 2020 के बाद 2024 के चुनाव में भाजपा और मजबूती से चुनाव लड़ेगी और जदयू के बगैर ही सरकार बनाने का दावा पेश कर देगी। भाजपा पर बीते कुछ वर्षो में मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान में भी सरकारों को बदलने के आरोप लगे हैं। इसके अलावा, हाल ही में महाराष्ट्र में शिवसेना में टूट के प्रकरण ने भी नीतीश की चिंता को बढ़ा दिया था।
- आरसीपी सिंह:
हालिया घटनाक्रमों और भाजपा की मंशाओं को लेकर नीतीश के शक पर मुहर लगाई आरसीपी सिंह और भाजपा की बढ़ती करीबियों ने। रिपोर्ट्स की मानें तो नीतीश कुमार के हाथ कुछ ऐसे ऑडियो टेप भी लगे, जिनमें भाजपा और आरसीपी सिंह के बीच जदयू में टूट कराने से जुड़ी बातचीत चल रही थी। नीतीश ने अपनी पार्टी में टूट की बची कोशिशों को कुचलने के लिए आखिरकार इस महीने आरसीपी सिंह को भी भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपों पर कारण बताओ नोटिस जारी करवा दिया।
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राजनीति में सफलता से पलटी मारने के माहिर, कई बार पैंतरों से चौंकाया
- नीतीश कुमार ने 10 साल में कई बार राजनीतिक पंडितों को किया है हैरान
-भाजपा से अचानक ही गठबंधन तोड़ने का किया है ऐलान
(फोटो छ नीतीश)
पटना। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया है और एक बार फिर से वह आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी में हैं। नीतीश कुमार ने यह फैसला अचानक ही लिया है, जिसने बिहार समेत देश भर के लोगों को चौंकाया है। लेकिन यह पहला मौका नहीं है, जब नीतीश ने इस तरह से अपना रुख बदला है। इससे पहले भी वह 2013 में एनडीए को छोड़कर आरजेडी और कांग्रेस के साथ चले गए थे। फिर 2017 में एक बार फिर से भाजपा के साथ चले आए थे। इस तरह वह राजनीति में कई बार पाला बदल चुके हैं।
एनडीए को अचानक छोड़ा था
कुमार ने कई बार राजनीतिक पंडितों को अब अपने पैंतरों से चौंकाया है। 2005 में भाजपा संग बिहार की सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार ने पहली बार 2012 में चौंकाया था। वह एनडीए में थे, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी को वोट दिया था। इसके बाद 2013 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को पीएम कैंडिडेट घोषित किया तो नीतीश कुमार ने 17 साल पुराने रिश्ते को ही खत्म कर दिया था।
मांझी को सीएम बनाकर चौंकाया
जेडीयू ने उसके बाद 2014 का आम चुनाव आरजेडी के साथ ही मिलकर लड़ा था, लेकिन भाजपा की लहर में करारी हार हुई। तब नीतीश कुमार ने चौंकाते हुए सीएम पद से ही इस्तीफा दे दिया था और फिर जीतन राम मांझी सीएम बने थे। जेडीयू को बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से महज 2 पर ही जीत मिली थी। इसके बाद नीतीश कुमार ने 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन संग उतरने का फैसला लिया था और जीत भी हासिल की थी। यही नहीं जून 2017 में जब वह महागठबंधन के साथ तो राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए की मीरा कुमार की बजाय एनडीए के रामनाथ कोविंद को वोट दिया था।
अचानक राबड़ी के घर इफ्तार में पहुंचे
इसके एक महीने बाद ही जुलाई में उन्होंने महागठबंधन छोड़ दिया था और एक बार फिर से भाजपा के साथ ही सरकार बना ली। बीते 5 सालों से भाजपा और जेडीयू साथ चल रहे थे, लेकिन इसी साल अप्रैल में एक बार फिर से उन्होंने चौंका दिया था। नीतीश कुमार ने राबड़ी के घर आयोजित इफ्तार पार्टी में हिस्सा लिया था। 5 साल बाद हुई इस मुलाकात के बाद से ही कयास तेज हो गए थे, जिनका अंत अब होने वाला है। अब नीतीश कुमार ने एक बार फिर से चौंकाया है और वह एनडीए को छोड़कर कांग्रेस और आरजेडी संग सरकार बनाने जा रहे हैं।
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