- निवर्तमान उप-राष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति का कार्यकाल हुआ समाप्त
नई दिल्ली। निवर्तमान उप-राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को सोमवार को विदाई दी गई। इस दौरान सदन में कई रंग दिखे। कभी माहौल हल्का-फुल्का तो कभी गमगीन हुआ। नायडू ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि जिस दिन पीएम ने मुझे बताया कि मुझे भारत का उपराष्ट्रपति बनने के लिए चुना जा रहा है तब मैं रो रहा था। मैंने इसके लिए मना कर दिया था, लेकिन पार्टी ने जनादेश दिया था, मैंने इसके लिए बाध्य होकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। आंसू इसलिए थे क्योंकि मुझे पार्टी छोड़नी पड़ी थी। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि पूरी दुनिया देख रही है कि भारत आगे बढ़ रहा है। मैं राज्यसभा सांसदों से शालीनता, गरिमा और मर्यादा बनाए रखने की अपील करता हूं ताकि सदन की छवि और सम्मान बना रहे। उन्होंने आगे कहा कि हम, उच्च सदन की बड़ी जिम्मेदारी है।
पीएम ने की तारीफ
विदाई भाषण में पीएम मोदी ने उनकी जमकर तारीफ की। खास तौर पर उनकी वाकपटुता की प्रशंसा करते हुए उनकी भाषण कला का लोहा माना। पीएम ने कहा- किताबों के टाइटल में आपकी शब्द प्रतिभा झलकती है, जिसके लिए आप जाने जाते हैं। आपके वन लाइनर्स, विन लाइनर्स भी होते हैं। यानि उसके बाद कुछ और कहने की जरूरत ही नहीं रह जाती है। आपके हर शब्द लोग सुनते हैं और कभी विरोध नहीं करते हैं।
खड़गे ने शायरी से जीता दिल
विदाई भाषण में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि दबाव में रहते हुए भी आपने अपनी भूमिका निभाई, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। मैं चंद लाइनों में अपनी बात रखना चाहता हूं- अगर तलाश करूं तो कोई मिल जाएगा, मगर आपकी तरह कौन हमें मिलेगा। आपके साथ से यह मंजर रौनक जैसा है, आपके बाद मौसम बहुत सताएगा। (खड़गे की इस शायरी पर सदन में जमकर ठहाके लगे)।
ब्रायन का तंज
वहीं, तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने राज्यसभा में निवर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के विदाई भाषण के दौरान कटाक्ष किया। तृणमूल सांसद ने नायडू को ईंधन की कीमतों पर उनके भावुक भाषण की भी याद दिलाई, जबकि भाजपा विपक्ष में थी। उन्होंने कहा, 2 सितंबर 2013 को आपने सदन में पेट्रोल-डीजल पर जोशीला भाषण दिया था। एक दिन शायद आप हमें अपनी आत्मकथा में बताएंगे कि फिर क्यों ऐसा हुआ। अपने हमले को जारी रखते हुए ओ’ब्रायन ने कहा कि नायडू ने 2013 में भी फोन-टैपिंग के संबंध में हस्तक्षेप किया था, लेकिन अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उच्च सदन में पेगासस पर कोई चर्चा नहीं हुई।
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