आजादी का अमृत महोत्सव 2022: गुमनाम ही रह गया स्वाधीनता सेनानी और तिरंगे का वास्तुशिल्पी

भारत इस साल आजादी का अमृत महोत्सव और हर घर तिरंगा अभियान मना रहा है। इस अभियान के जरिए भारत के लगभग 150 करोड़ लोगों को राष्ट्रीय ध्वज की महिमा और आजादी के आन्दोलन की याद दिलाई जा रही है तो लाजिमी है कि हम उस महान सख्शियत को भी याद कर लें जिसके डिजाइन पर आज हमारी आन-बान और शान का प्रतीक हमारा राष्ट्रीय ध्वज ‘‘तिरंगा’’ दुनिया के सामने बड़े गर्व से लहरा रहा है।

दरअसल, स्वाधीनता आन्दोलन में पिंगली वेंकय्या ने राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन दे कर भारत को यह विशिष्ट पहचान दी इसलिए राष्ट्र हमेशा उनका ऋणी रहेगा। हमें अब नेता, अभिनेता और क्रिकेट खिलाड़ी तो याद रहते हैं मगर वे याद नहीं रहते जिनकी बदौलत हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।

गुमनाम नायक जिसने भारत को तिरंगा दिया

भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने एक बार कहा था-

वेंकय्या हमारे स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक थे, जिन्होंने बहुत बड़ा योगदान दिया। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया और भारत को एक स्वतंत्र देश बनाने के लिए अथक प्रयास किया। 

राष्ट्र ध्वज के वास्तुशिल्पी पिंगली वेंकय्या

राष्ट्र ध्वज के वास्तुशिल्पी पिंगली वेंकय्या का जन्म 2 अगस्त, 1876 को हुआ था। उनका पालन-पोषण एक तेलुगू ब्राह्मण परिवार में आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के पास भाटलापेनुमरु में पिता हनुमंतरायडू और माता वेंकटरातनमा के यहां हुआ था। मद्रास में अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह स्नातक की पढ़ाई करने के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय चले गए। उन्हें भूविज्ञान और कृषि का शौक था। वह न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक कट्टर गांधीवादी, शिक्षाविद, कृषक, भूविज्ञानी, भाषाविद् और लेखक थे।

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