देश में मिले मंकीपॉक्स का स्ट्रेन ‘सुपर स्प्रेडर नहीं,

-दो संक्रमितों की जीनोम सीक्वेंसिंग आई सामने

नई दिल्ली। देश में मिले मंकीपॉक्स के पहले दो संक्रमित रोगियों की जीनोम सीक्वेंसिंग में खुलासा हुआ है कि जो वायरस यूरोप व अमेरिका में मिला है, वह भारत में नहीं है। यूरोप का स्ट्रेन सुपर स्प्रेडर है। केरल निवासी दोनों मरीजों में वायरस का ए.2 क्लैड मिला है, जो पिछले साल फ्लोरिडा में मिला था। अभी जिस स्ट्रेन का प्रसार पूरी दुनिया में है, उसका भारत से कोई संबंध नहीं है। नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर-आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि दुनिया में 60 फीसदी से ज्यादा मंकीपॉक्स के मामले यूरोप में मिल रहे हैं। वहां वायरस का बी.1 क्लैड तेजी से फैल रहा है, जिसे समलिंगियों में यौन संबंध से जोड़कर देखा जा रहा है। न्यू इंग्लैंड मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में 540 रोगियों में से 98 फीसदी समलैंगिक पाए गए।

दोनों केस में जुड़ाव नहीं

आईजीआईबी के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. विनोद स्कारिया का कहना है कि “वायरस का ए.2 क्लैड कई मायनों में अजीब है। इसके सुपर स्प्रेडर होने के सबूत भी नहीं है। हमारा मानना है कि केरल के दोनों व्यक्ति किसी संयोग के चलते संक्रमित हुए हैं। इसका मतलब साफ है कि ये यूरोप के सुपर स्प्रेडर से जुड़े नहीं है। यह भी पता चलता है कि मंकीपॉक्स का वायरस यूरोप से काफी समय पहले दूसरे देशों में पहुंचा है।”

केरल के मरीजो में ए.2 क्लैड

सीएसआईआर-आईजीआईबी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया, केरल के दो मरीजों के सैंपल सीक्वेंस किए। इनमें से एक अभी आइसोलेशन में है। दोनों विदेश से लौटने के बाद बीमार पड़े। इनमें मंकीपॉक्स का ए.2 क्लैड है जो 2021 में फ्लोरिडा, थाईलैंड और वियतनाम में मिला था। दूसरा हम मानव से मानव वायरस प्रसार के एक अलग समूह देख रहे हैं जो संभवतः वर्षों से अपरिचित हो सकते हैं।

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