रीना छिब्बर 75 साल बाद पाकिस्तान के पुश्तैनी घर में सोईं, क्या बोले नए मकान मालिक?

75 साल बाद रावलपिंडी के अपने घर पहुंचीं रीना छिब्बर वर्मा
15 साल की उम्र में पाकिस्तान छोड़ भारत आ गई थीं

देश के बंटवारे के 75 साल बाद भारत से पाकिस्तान अपने पुश्तैनी घर पहुंचीं रीना छिब्बर वर्मा अब किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. पिंडी गर्ल के नाम से मशहूर हो चुकीं रीना वर्मा ने रावलपिंडी के अपने घर पहुंचकर बचपन की यादों को फिर से ताजा किया.

वह बीते बुधवार को पहली बार रावलपिंडी की प्रेम गली के अपने घर प्रेम निवास पहुंची थीं. उन्होंने यहां पहुंचकर अपने बचपन को एक बार फिर से जीने की कोशिश की थी. इस घर के प्रति रीना के लगाव को देखते हुए इस घर में रह रहे लोगों ने उन्हें रात को यहीं रुकने का न्योता दिया था.

रीना के पुश्तैनी घर में ही रात को उनके रुकने का इंतजाम किया गया. उन्हें रात में उसी कमरे में सोने का मौके मिला, जहां वह बचपन में सोया करती थीं. 15 साल की उम्र तक रीना मकान के पहली मंजिल के इसी कमरे में सोती थीं. इस कमरे के दरवाजे पर घर वालों ने रीना के नाम की नेमप्लेट भी लगा दी, जिस पर लिखा था, रीनाज होम यानी रीना का घर.

रीना को तमाम कोशिशों के बाद पाकिस्तान का तीन महीने का वीजा दिया गया था और वह अपनी वीजा अवधि के आखिरी पड़ाव पर पाकिस्तान पहुंचीं.

भारत लौटेंगी रीना छिब्बर वर्मा

रीना को भारत के साथ-साथ पाकिस्तान का भी खूब प्यार मिल रहा है. वह जहां कहीं भी जाती हैं, लोग उन्हें घेरकर उनके साथ सेल्फी खिंचवाने की मिन्नत करते हैं.

वह पाकिस्तान के इस दौरे पर अपने बचपन से जुड़ी जगहों को देखने से नहीं चूकीं. रीना पाकिस्तान की अपनी यात्रा के आखिरी पड़ाव पर लाहौर पहुंचीं. उन्होंने लाहौर के फॉर्मैन क्रिश्चियन कॉलेज का भी दौरा किया. इस कॉलेज पहुंचकर वह बहुत भावुक हो गईं क्योंकि उनके पति ने 1945 में इसी कॉलेज से पढ़ाई की थी.

वह पाकिस्तान के लोकप्रिय पर्यटन स्थल मरी भी पहुंचीं. रीना की मरी से बहुत सारी यादें जुड़ी हैं. वह बताती हैं कि बचपन में वह अपने परिवार के साथ अक्सर मरी आया करती थीं.

रीना को भारत के साथ-साथ पाकिस्तान का भी खूब प्यार मिल रहा है. वह जहां कहीं भी जाती हैं, लोग उन्हें घेरकर उनके साथ सेल्फी खिंचवाने की मिन्नत करते हैं.

बता दें कि महज 15 साल की रीना अपने परिवार के साथ मई से जुलाई 1947 में भारत पहुंची थीं. उस समय सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे. पाकिस्तान के रावलपिंडी के अपने घर से 75 सालों से जुदा रही रीना कहती हैं, मैं अपने पुश्तैनी घर, मेरे पड़ोस और पिंडी की गलियों की यादें कभी नहीं मिटा पाई.

फेसबुक पर इंडिया-पाकिस्तान हेरिटेज क्लब (India Pakistan Heritage Club) की मुहिम से रीना छिब्बर वर्मा आखिरकार अपनी जन्मभूमि पाकिस्तान पहुंची. वह इससे पहले दो बार पाकिस्तान जाने की असफल कोशिश कर चुकी थीं.

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