तिरंगे को पहली बार 22 जुलाई, 1947 को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था. एक सरकारी वेबसाइट के अनुसार, 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के डोमिनियन के राष्ट्रीय ध्वज और उसके बाद भारत गणराज्य के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया. राष्ट्रीय ध्वज, जिसे गणतंत्र दिवस और अन्य महत्वपूर्ण आयोजनों पर फहराया जाता है, एक क्षैतिज तिरंगा है जो सबसे ऊपर गहरे केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे गहरे हरे रंग का समान अनुपात में होता है. झंडे की चौड़ाई और उसकी लंबाई का सरकार द्वारा निर्धारित अनुपात दो से तीन है.
सफेद पट्टी के केंद्र में एक गहरे नीले रंग का पहिया होता है जो चक्र का प्रतिनिधित्व करता है. इसका डिज़ाइन उस पहिये का है जो अशोक के सारनाथ सिंह राजधानी (जिसे धर्म चक्र कहा जाता है) के अबैकस पर दिखाई देता है. इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर है और इसमें 24 तीलियां हैं. तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था. आइए जानते हैं भारतीय ध्वज तिरंगे से जुड़ी 15 जरूरी बातें.
- किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए.
- आम नागरिकों को अपने घरों या ऑफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली.
- 29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था. इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी.
- किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन पर टच नहीं होना चाहिए. यह इसका अपमान होता है.
- तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता.
 6 किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता. और न ही इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने किया जा सकता है.
- किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन पर टच नहीं होना चाहिए. यह इसका अपमान होता है.
- देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं. इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है.
- तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए. प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है.
- तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा, जिसका अनुपात 3:2 तय है. वहीं जबकि अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं.
- सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था.
- झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है.
- भारत में बेंगलुरू से 420 किमी स्थित हुबली एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान हैं जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता है.
- किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते हैं.
- आम नागरिकों को अपने घरों या ऑफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली.


 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                