रेस्टारेंट में खाना होगा महंगा, देना होगा सर्विस टैक्स

—सेवा शुल्क वसूलने पर प्रतिबंध संबंधी दिशानिर्देशों पर अदालत ने लगाई रोक

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सेवा शुल्क पर पाबंदी लगा दी थी। भारतीय होटल एवं रेस्तरां संघ ने इस पर आपत्ति जताई। मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने उन हालिया दिशानिर्देशों पर बुधवार को रोक लगा दी, जिनमें होटल और रेस्तरां के सेवा शुल्क वसूलने पर प्रतिबंध लगाया गया था। ऐसे में आम लोगों को ढाबा, रेस्त्रां में खाना महंगा हो जाएगा।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के चार जुलाई के दिशानिर्देशों के विरुद्ध भारतीय राष्ट्रीय रेस्तरां संघ और भारतीय होटल एवं रेस्तरां संघ की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले पर विचार किये जाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही अदालत ने प्राधिकारियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा, मामले पर विचार किए जाने की आवश्यकता है। इसलिए जब तक मामले में अगली सुनवाई नहीं हो जाती तब तक चार जुलाई, 2022 के दिशानिर्देशों के पैरा सात में निहित निर्देश पर रोक रहेगी। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के सदस्यों को निर्देश दिया जाता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि कीमत और कर के अतिरिक्त उपभोक्ताओं से सेवा शुल्क वसूले जाने और इसके भुगतान की बाध्यता को मेन्यू या अन्य स्थानों पर विधिवत और प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाए। अदालत ने कहा कि इसके अलावा होटल और रेस्तरां पैक कराकर ले जाए जाने वाले सामान पर सेवा शुल्क नहीं वसूलने के बारे में हलफनामा दाखिल करेंगे। न्यायालय ने कहा, यदि आप भुगतान नहीं करना चाहते हैं, तो रेस्तरां में प्रवेश न करें। यह अंतत: इच्छा पर निर्भर करता है।

इन पर लगाई रोक

दिशानिर्देशों के पैरा-सात पर रोक लगाई जाती है, जिसमें इन दो शर्तों का उल्लेख किया गया है। सीसीपीए के वकील ने अदालत से कहा कि रेस्तरां और होटलों का सेवा शुल्क वसूलना उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत अनुचित कारोबारी व्यवहार है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 नवंबर की तारीख मुकर्रर की।

याचिकाकर्ता बोले- पाबंदियां मनमानी व गैर-जरूरी

एनआरएआई ने अपनी याचिका में दावा किया था कि चार जुलाई के आदेश के तहत लगाई गईं पाबंदियां मनमानी व गैर-जरूरी हैं। इन्हें रद्द किया जाना चाहिए, क्योंकि इन्हें तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर जारी नहीं किया गया है। अधिवक्ताओं नीना गुप्ता और अनन्या मारवाह के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है, आतिथ्य क्षेत्र में 80 वर्ष से अधिक समय से सेवा शुल्क वसूले जाने की स्थापित परंपरा रही है, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 1964 में इस अवधारणा पर गौर किया था।

इधर, ढाबा-रेस्त्रां में बढ़ेगी लाइसेंस फीस

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बैंक्वेट हॉल, ढाबा और रेस्टोरेंट की लाइसेंस फीस बढ़ गई। दिल्ली नगर निगम ने हेल्थ ट्रेड लाइसेंस की फीस बढ़ा दी है। रेट का सबसे ज्यादा असर ईस्ट और नॉर्थ दिल्ली के एरिया पर होगा। पहले ढाबा खोलने के लिए रजिस्ट्रेशन फीस 2500 से 10 हजार रुपए तक थी, जिसे बढ़ाकर 25 हजार रुपए कर दिया गया है। बैंक्वेंट हॉल के लिए पहले एनुअल फीस 5000 से 25 हजार के बीच थी जिसे बढ़ाकर 25000 रुपए कर दिया गया है। 20 सीट वाले रेस्टोरेंट की लाइसेंस फीस 240 रुपए से बढ़ाकर 10 हजार रुपए, 20-50 सीट वाले रेस्टोरेंट के लिए लाइसेंस फीस 500 रुपए से बढ़ाकर 20 हजार रुपए और 50 सीट से ज्यादा वाले रेस्टोरेंट के लिए लाइसेंस फीस 500 रुपए से बढ़ाकर 25 हजार रुपए कर दी गई है।

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