दुनियाभर से पर्यटक यूरोप में गर्मी की छुट्टियां मनाने आते हैं लेकिन इस बार कई यूरोपीय देशों का हाल गर्मी से बेहाल हो चुका है। खासतौर पर पश्चिम यूरोप में गर्मी की वजह से कई देशों ने इसे राष्ट्रीय संकट घोषित कर दिया है। अगले कुछ हफ्तों तक इससे बचने के लिए अपने नागरिकों और पर्यटकों को चेतावनी दे रहे हैं। यूरोप में रिकॉर्ड गर्मी की वजह से कहीं सूखा तो कहीं जंगलों में आग लगने की खबरें सुर्खियों में है। वहीं प्रचंड गर्मी से यूरोपीय देशों के पर्यटन को धक्का भी पहुंच रहा है।
स्पेन, फ्रांस, इटली, पुर्तगाल, यूके में गर्मी का पारा 37 डिग्री के पार जा चुका है। इन देशों के मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले दिनों में तापमान क़रीब आठ से दस डिग्री तक और बढ़ सकता है। कम से कम अगले दो हफ़्ते तक इस प्रचंड गर्मी से निजात मिलने की संभावना नहीं है।
इधर, ठंडे प्रदेशों के लकड़ी के घरों में एसी और पंखे की व्यवस्था नहीं होती है। यहां घरों को भी इस तरह तैयार किया जाता है कि ठंड के मौसम में बाहरी तापमान का असर घर के अंदर नहीं हो। अब ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि तापमान बढ़ने से यहां लोगों किन तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा होगा।
सूरज की तीखी धूप में बाहर निकलना चुनौती से कम नहीं। वहीं घरों का निर्माण ऐसे भीषण गर्मी को ध्यान में रखकर नहीं किया गया। जिससे घरों के अंदर भी लोग बेहाल हो रहे हैं। यह असंतुलित तापमान का असर ही है कि अब नॉर्वे और स्वीडन में भी एसी व पंखे बिकने लगे हैं।
यहां इन चीजों का बाजार बन रहा है। स्वीडिश जलवायु शोधार्थियों ने पहले ही इस बार देश में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ने की चेतावनी जारी कर दी थी। जिससे यहां के बाजारों में पंखे और एसी उम्मीद से ज्यादा बिकने शुरू हो गये।
स्पेन में सरकारी निर्देश, सूखे से जूझ रही इटली
स्पेन में हालात की गंभीरता को समझते हुए दिन में समुद्र तटों पर पर्यटकों के जाने की मनाही पहले ही हो चुकी है। हाल में ही स्पेन में पारा 40 डिग्री के पार जाने के बाद स्थानीय प्रशासन ने तपती धूप में समुद्र बीच पर जाने, लेटने, बैठने या सीधे धूप के संपर्क में रहने पर रोक लगा दिया था। ताकि कम से कम लोग लू की चपेट में आए और वे गर्मी से बीमार नहीं हो। पारा औसत से अधिक होने पर दिन में सार्वजनिक कार्यक्रमों और खुले मैदान में बैठने पर भी मनाही कर दी गई।
वहीं इटली पिछले 70 सालों के सबसे भयंकर सूखे की मार झेल रहा है। जिससे वहां गर्मी से आपातकाल की घोषणा की गई। इस सूखे की सबसे ज्यादा मार चावल की खेती पर हुई है। लगातार गर्मी और कम बारिश की वजह से धान के खेतों की सिंचाई नहीं हो पा रही है।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक़ इटली में पिछले तीस वर्षों की औसत बारिश का आधा भी इस वर्ष नहीं हुआ है। सूखे के कारण देश का 30 प्रतिशत कृषि उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसमें धान की खेती यहां सबसे ज़्यादा बर्बाद हुई है। इसका असर आने वाले दिनों में बाजार की महंगाई पर भी पड़ने वाला है।
इंग्लैंड और वेल्स में मौसम विभाग ने अगले दो हफ्तों के लिए हीट अलर्ट जारी कर दिया है। यहाँ आने वाले दिनों में तापमान औसत से ज़्यादा रहेंगे। ऐसे में लोगों को दिन में कम से कम घर से बाहर निकले और शरीर में पानी की कमी नहीं हो इसकी भरपूर व्यवस्था रखने के सुझाव सार्वजनिक तौर पर दिये जा रहे हैं।
वहीं सूखे व भयंकर गर्मी की वजह से रोम और पुर्तगाल के जंगलों में आग लग गई। इस वजह से आसपास के इलाकों का तापमान औसत से कहीं ज़्यादा बढ़ चुका है। माना जा रहा है कि तापमान ऐसे ही प्रचंड रहा तो पुर्तगाल में भी गर्मी को राष्ट्रीय संकट घोषित किया जा सकता है।
मौसम वैज्ञानिक यूरोप में बिगड़े हालात को जलवायु संकट की शुरुआत के तौर पर देख रहे हैं। उनका कहना है कि बार बार चेतावनी देने के बाद भी अगर मौसम परिवर्तन को लेकर दुनिया सचेत नहीं हुई तो आने वाले दिन इससे कहीं ज़्यादा घातक होने वाले हैं। यूरोप में असंतुलित तापमान का यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। जिससे पूरी दुनिया प्रभावित होगी।

