लैंगिक समानता में की स्थिति खराब, दुनिया में 135वें स्थान पर भारत

नई दिल्ली। विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) की ओर से लैंगिक समानता पर ताजा रिपोर्ट जारी की गई है। इसके मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले भारत पुरुषों और महिलाओं को समानता दिलाने में कुछ आगे पहुंचा है। देश को वैश्विक रैंकिंग में पांच स्थानों का फायदा मिला है। इसके बावजूद भारत लिस्ट में 135वें स्थान पर है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लैंगिक समानता के दो सूचक- महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और नए मौकों को बढ़ावा मिला है।

डब्ल्यूईएफ की सालाना जारी होने वाली जेंडर गैप रिपोर्ट, 2022 के मुताबिक, लैंगिक समानता में आइसलैंड अब भी सबसे ऊपर है। इसके बाद फिनलैंड, नॉर्वे, न्यूजीलैंड और स्वीडन का नंबर है। चौंकाने वाली बात यह है कि भारत की रैंकिंग सुधरने के बावजूद लैंगिक समानता के मुद्दे में सिर्फ 11 देश ही उससे नीचे हैं। यानी भारत की 135वीं रैंकिंग 146 देशों की तुलना में है। भारत से निचली रैंकिंग में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कॉन्गो, ईरान और चैड जैसे देश हैं। यह सभी देश रैंकिंग में सबसे नीचे के पांच पायदानों पर हैं।

भारत पर डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट में क्या?

डब्ल्यूईएफ ने भारत पर कहा है कि यहां लैंगिक अंतर का स्कोर पिछले 16 वर्षों में सातवें सर्वोच्च स्तर पर दर्ज किया गया है। लेकिन यह विभिन्न मानदंडों पर सर्वाधिक खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल है। पिछले साल से भारत ने आर्थिक साझेदारी और अवसर पर अपने प्रदर्शन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं सकारात्मक बदलाव दर्ज किया। लेकिन श्रम बल भागीदारी 2021 से पुरूषों और महिलाओं, दोनों की कम हो गई है। महिला सांसदों/विधायकों, वरिष्ठ अधिकारियों और प्रबंधकों की हिस्सेदारी 14.6 प्रतिशत से बढ़ कर 17.6 प्रतिशत हो गई है। वहीं, पेशेवर और तकनीकी श्रमिकों के रूप में महिलाओं की हिस्सेदारी 29.2 प्रतिशत से बढ़ कर 32.9 फीसदी हो गई। अनुमानित अर्जित आय के मामले में लैंगिक समानता बेहतर हुई है। इसके अलावा पुरूषों और महिलाओं के लिए इसके मूल्य में भी कमी आई है। वहीं, इस संदर्भ में पुरूषों की तुलना में महिलाओं में अधिक कमी आई है।

स्वास्थ्य-जीवन प्रत्याशा में काफी नीचे भारत

राजनीतिक सशक्तिकरण के उप-सूचकांक में अंक का घटना इसलिए प्रदर्शित हुआ है कि पिछले 50 वर्षों में राष्ट्र प्रमुख के तौर पर महिलाओं की भागीदारी के वर्षों में कमी आई है। हालांकि, भारत इस उप-सूचकांक में 48वें स्थान पर है, जो कि बेहतर स्थिति है। स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा सूचकांक में भारत की रैंकिंग सबसे खराब है और यह 146वीं रैंक पर है। इस मानक में भारत यह उन पांच देशों में शुमार है, जहां का लैंगिक अंतर पांच प्रतिशत से ज्यादा है।

अन्य चार देश-कतर, पाकिस्तान, अजरबैजान और चीन हैं। हालांकि, प्राथमिक शिक्षा में दाखिले से लैंगिक समानता में भारत दुनिया में पहले स्थान पर है। डब्ल्यूईएफ की प्रबंध निदेशक सादिया जहीदी ने कहा, ‘‘महामारी के दौरान श्रम बाजार को नुकसान पहुंचने के बाद जीवनयापन की लागत पर आये संकट ने महिलाओं को काफी प्रभावित किया है।’’


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