- आसानी से कैसे पूर्व पीएम तक पहुंच गया आरोपी ? : शिंजो आबे जापान के सबसे ताकतवर नेता थे। भले ही वह अब प्रधानमंत्री नहीं हैं, लेकिन कहा जाता है कि सरकार में उन्हीं की ज्यादा चलती थी। ऐसे में कड़ी सुरक्षा के बावजूद कैसे हथियार लेकर हमलावर पूर्व पीएम के एकदम नजदीक पहुंच गया? क्या उसे स्थानीय स्तर पर किसी अफसर ने भी मदद की? क्यों नहीं उसकी तलाशी ली गई और अगर ली गई तो वह कैसे बच निकला? क्योंकि बिना किसी मदद के वह इतनी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे सकता है और अफसर तभी मदद करेंगे जब उन्हें ऊपर से मदद मिली होगी।
- एंबुलेंस आने में 15 मिनट देरी क्यों? : शिंजो आबे पूर्व प्रधानमंत्री रहे हैं और आज भी जापान की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष हैं। नियम के अनुसार जहां भी वह जाएंगे उनके साथ पूरा काफिला जाता होगा। काफिले में एंबुलेंस भी होता है। ऐसे में शिंजो के काफिले में कोई एंबुलेंस क्यों नहीं थी और घटना के बाद तुरंत उन्हें अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया? 15 मिनट तक एंबुलेंस का इंतजार क्यों किया गया? मामला पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़ा होने के बाद भी एंबुलेंस के आने में इतनी देर क्यों हुई?
- जापान से पहले चीनी मीडिया ने कैसे ब्रेक की खबर? : हमला जापान के पूर्व प्रधानमंत्री पर हुआ था लेकिन सबसे पहले चीन में खबर फ्लैश हुई। यहां तक की जापान के कुछ मीडिया ने चीनी स्टेट मीडिया का हवाला देकर अपने यहां खबर चलाई। आखिर ये कैसे हो सकता है कि स्थानीय मीडिया से पहले चीनी मीडिया पर ये खबर चल जाए?
- घर में हथियार बनाने में किसने मदद की?
 जिस बंदूक से आबे पर हमला किया गया है, वो एक होममेड हथियार है। इसे डक्ट टेप और पाइप्स को मिलाकर तैयार किया गया था। देखने में ये बिल्कुल कैमरे के जैसी दिखती है और इसे करीब से देखने पर दो पाइप साफ नजर आ रहे हैं। ऐसे में सवाल ये भी है कि आखिर ये हथियार बनाने में आरोपी की मदद किसने की?
- चीन में जश्न क्यों? : शिंजो आबे पर हमले की खबर वायरल होते ही चीन में एक तरह से जश्न मनाया जाने लगा। जब पूरी दुनिया शिंजो आबे के लिए दुआ कर रहे हैं तब चीन के सरकारी अखबार जापान के खिलाफ जहर उगलने में जुटा है। सवाल उठता है कि किसी देश के पूर्व पीएम पर हमले से चीन इतना खुश क्यों है?
 चीन ने क्या कहा?
 शिंजो आबे पर हमले के बाद चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख प्रकाशित किया है। इसमें कथित विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया कि इस हमले से निश्चित रूप से जापान के दक्षिणपंथी भड़क जाएंगे। साथ ही ज्यादा सक्रिय होकर जंग कर सकते हैं। यही नहीं जापान में आर्थिक संकट और सामाजिक मतभेद पैदा हो सकता है। आबे के उत्तराधिकारी इस घटना का इस्तेमाल अपने मुक्त और स्वतंत्र हिंद- प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने, क्वॉड में सक्रिय भागीदारी और पूर्वी एशिया में नाटो के प्रवेश को बढ़ावा देने के लिए कर सकते हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा, ‘इससे जापान के दक्षिण पंथी और ज्यादा सक्रिय हो सकते हैं और युद्ध को फिर से शुरू करा सकते हैं। वह भी आर्थिक संकट और सामाजिक मतभेद के बीच। अबे पर यह हमला जापान के शांतिवादी संविधान में बदलाव को बढ़ावा दे सकता है। इससे विदेश नीति पर काफी प्रभाव पड़ेगा जैसे चीन और अमेरिका के साथ संबंध।’
क्यों शिंजे आबे से परेशान था चीन?
शिंजो आबे ही ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने खुलकर चीन की मुखालफत की थी। वह चीन की गलत नीतियों के खिलाफ हमेशा खड़े रहे। यही कारण है कि चीन के लोग घटना पर खुशी जता रहे हैं। वो हमलावर को हीरो करार दे रहे हैं।
‘जापान को दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में शामिल कराने में शिंजो आबे की सबसे बड़ी भूमिका रही है। उनकी चीन से कभी नहीं पटी। यहां तक कि साल 2020 में जब पूरी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही थी तो आबे दुनिया के पहले नेता थे, जिन्होंने इसके लिए साफ तौर पर चीन को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि यह बात सच है कि कोरोना वायरस अक्टूबर 2019 में चीन के वुहान से निकला और अब पूरी दुनिया में फैल गया है।’
ताइवान के मसले पर भी शिंजो आबे हमेशा चीन का विरोध करते थे। वह ताइवान की मदद भी करते थे। आबे ने कहा था कि चीन को अपने पड़ोसियों को डराना बंद करना पड़ेगा और जमीन हथियाने की अपनी नीति को छोड़ना पड़ेगा। यहां तक की उन्होंने यह भी कहा था कि अगर जमीन पर कब्जा करने की नीति के तहत चीन कोई मिलिट्री एक्शन लेता है तो यह उसके लिए आत्मघाती साबित होगा।’
शिंजो आबे से इसलिए भी चिढ़ता था चीन
शिंजो आबे ही वह शख्स थे, जिन्होंने 2007 में ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका के साथ मिलकर क्वाड की शुरुआत की। यह संगठन चीन की बढ़ती साम्राज्यवाद की नीति के खिलाफ बनाया गया था। 
चीन हमेशा से जापान के पूर्व में स्थित सेनकाकू द्वीप पर अपना हक जताता है। उसकी सेनाएं अक्सर यहां पर गश्त करती रहती हैं। वहीं, शिंजो आबे इसके विरोध में हमेशा डटे रहे। 
शिंजो आबे ने जापान की मिलिट्री को भी काफी मजबूत किया। साल 2019 में जापान आंठवां देश था जिसने अपनी सेनाओं पर सबसे ज्यादा खर्च किया। जापान की मिलिट्री के आधुनिकीकरण का श्रेय भी आबे को ही जाता है। 
आर्थिक तौर पर भी शिंजो आबे हमेशा चीन को टक्कर देने की कोशिश में जुटे रहे। जापानी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए उनकी नीतियों को 'आबेनॉमिक्स' नाम दिया गया था। दो बार के कार्यकाल में उन्होंने चीन को आर्थिक रूप से घेरने की कोशिशें की और सफल रहे।

 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                