लॉ के एक छात्र की गिरफ्तारी के समय उसे हथकड़ी पहनाना कर्नाटक पुलिस को भारी पड़ गया। छात्र ने इस दुर्व्यवहार के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर मुआवजा मांगा। हाईकोर्ट को उसकी याचिका सही लगी और 6 हफ्ते में उसे 2 लाख रुपये मुआवजा देने के निर्देश राज्य सरकार को दिए।
हाईकोर्ट की धारवाड़ बेंच में आए इस मामले में जस्टिस सूरज गोविंदराज ने आरोपियों, विचाराधीन व दोषसिद्ध अपराधियों को हथकड़ी कब पहनानी है इसे लेकर निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा ‘हथकड़ी सिर्फ बेहद विकट परिस्थितियों में लगाई जा सकती है। पुलिस किसी को हथकड़ी लगाए तो इसकी जरूरत क्यों पड़ी, इसकी वजह केस डायरी या अन्य संबंधित दस्तावेज में दर्ज करे, अदालत देखेगी की वजह उचित थी या नहीं।’ 
यह भी कहा- पहले से अनुमति ले पुलिस
विचाराधीन आरोपियों को कोर्ट में प्रस्तुत करते समय हथकड़ी पहनाने के लिए पुलिस पहले से ट्रायल कोर्ट से अनुमति ले। कोई अधिकारी बिना अनुमति किसी कैदी को हथकड़ी पहनाता है तो अपने जोखिम पर ऐसा करे।
डीजीपी को निर्देश दिए गए कि जो गिरफ्तारी करने जाएं, वे बॉडी कैमरा व माइक्रोफोन पहनें।
ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिए कि विचाराधीन कैदियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उपस्थित करवाने की अनुमति दें।


 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                