गुजरात हाई कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम पर दिया फैसला
दो शादियों से जन्मी संतानों में संपत्ति विवाद का मामला
नई दिल्ली। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत हिंदू परिवार में संपत्ति विवाद और उत्तराधिकार को लेकर अहम प्रावधान किए गए हैं। ऐसे ही एक मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। मामला एक ऐसे परिवार का है जिसमें महिला की दो शादी हुई थी और उसके पहले पति से संतान हुई थी और संपत्ति जब उसे दी गई तो दूसरे शादी से जन्मी संतान ने विरोध जताया। एक महिला की दो शादियों से जन्मी संतानों के बीच संपत्ति विवाद में हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।
क्या कहा हाईकोर्ट ने अपने फैसले में
गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15 के तहत जब बिना वसीयत किए किसी विधवा की मृत्यु हो जाती है तो बेटे और बेटी समेत उसके वारिस या अवैध संबंधों से जन्मी संतान भी उसकी पैतृक संपत्ति में हिस्सेदार होती है। जस्टिस एपी ठाकर ने आगे कहा कि चूंकि इस केस में मृतक विधवा संपत्ति के मालिकों में से एक थी, ऐसे में उसके पास अपना अविभाजित हिस्सा किसी को भी देने का पूरा अधिकार था, खासतौर से जब वसीयत को हाई कोर्ट के समक्ष किसी ने भी चुनौती नहीं दी हो।
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माखनभाई पटेल की संपत्ति का मामला
दरअसल, इस केस में संपत्ति के मूल मालिक माखनभाई पटेल थे, उन्होंने अपने दो बेटों के साथ पत्नी कुंवरबेन को संपत्ति के उत्तराधिकारियों में से एक के रूप में नामित किया था। इसे 1982 के राजस्व रिकॉर्ड में भी दर्ज कर लिया गया था। बाद में, कुंवरबेन ने अपनी पिछली शादी से हुए बेटे की विधवा के पक्ष में भूमि के अविभाजित हिस्से के लिए एक वसीयत तामील कराई। याचिकाकर्ता बहू के उत्तराधिकारी हैं, जो कुंवरबेन की मृत्यु के बाद संपत्ति में अपने हिस्से का दावा कर रहे थे।
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