- यूक्रेन युद्ध का रूस की अर्थव्यवस्था पर पड़ा गहरा असर
नई दिल्ली। यूक्रेन के साथ करीब चार महीने से जारी युद्ध का रूस की अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रूस ने 103 साल के इतिहास में पहली बार विदेशी कर्ज पर डिफॉल्ट किया।
यूक्रेन से जारी युद्ध के बाद अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी देशों ने रूस के व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया। ग्लोबल मार्केट में डॉलर से लेनदेन पर रोक लगाए जाने के बाद रूस ने अपनी स्थानीय मुद्रा रूबल में भुगतान की पेशकश की जिसे अमेरिका के प्रभाव में अन्य देशों ने ठुकरा दिया। 27 मई को रूस को विदेशी कर्ज के ब्याज के रूप में 10 करोड़ डॉलर का भुगतान करना था, जिस पर एक महीने का ग्रेस पीरियड मिला था। यह समय भी रविवार 26 जून को समाप्त हो गया और तकनीकी रूप से रूस इस लोन को डिफॉल्ट कर गया जो 1918 के बाद पहली बार हुआ है।
एक्सपर्ट का कहना है कि रूस के लिए यह ज्यादा मुश्किल बात नहीं है, क्योंकि इससे भी ज्यादा चुनौती दहाई अंक में पहुंच गई महंगाई दर और अर्थव्यवस्था में गिरावट के अनुमानों से मिल रही है। युद्ध के बाद से तमाम प्रतिबंध झेल रहे रूस का बॉन्ड मार्केट मार्च से ही दबाव में है, जबकि उसके केंद्रीय बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार भी ठप पड़ा है।
जबरन भुगतान से रोका जा रहा
रूस ने इस डिफॉल्ट को बनावटी करार देते हुए कहा कि उसके पास किसी भी बिल का भुगतान करने के लिए पर्याप्त फंड है, लेकिन जबरन इसे डिफॉल्ट बनाया जा रहा है। पिछले सप्ताह रूस ने कहा था कि वह 40 अरब डॉलर के सरकारी कर्ज को रूबल में भुगतान करना चाहता है, क्योंकि पश्चिमी देशों ने डॉलर में ट्रेडिंग पर रोक लगा रखी है। पश्चिमी देशों ने हमें जबरन डिफॉल्टर बनाने की कोशिश की है। यह बेहद खराब स्थिति है जहां एक सरकार दूसरी सरकार को डिफॉल्टर बनाने पर तुली हो।
विदेशी निवेशकों को युद्ध खत्म होने का इंजार
जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा के अर्थशास्त्री तकाहिदे केयुची ने कहा कि विदेशी निवेशकों को रूस के बॉन्ड को लेकर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. उन्हें यूक्रेन के साथ युद्ध समाप्त होने और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों में ढील आने का इंतजार करना चाहिए. बॉन्ड शर्तों के अनुसार, तीन साल के बाद ही इस पर दावे पर असर पड़ेगा।
पहले भी आया ऐसा संकट
रूस में पहले भी विदेशी कर्ज डिफॉल्ट की स्थिति आ चुकी है। 1998 में आर्थिक संकट की वजह से स्थानीय मुद्रा रूबल कोलैप्स कर गई थी। हालांकि, तब राष्ट्रपति बोरिस येल्सतिन की सरकार 40 अरब डॉलर के घरेलू कर्ज पर डिफॉल्ट हुई थी। इससे पहले विदेशी कर्ज पर डिफॉल्ट का मामला व्लादिमीर लेनिन के शासनकाल में साल 1918 में आया था। अभी विदेशी निवेशकों के पास रूस का करीब 20 अरब डॉलर का बॉन्ड है। रूस का कहना है कि मेरे पास भुगतान के लिए पर्याप्त फंड है लेकिन मुझे इससे रोका जा रहा है। ऐसे में कर्ज डिफॉल्ट होना मेरी गलती नहीं है।

