शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान ने पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी (आप) को हरा दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि पंजाब पुलिस के पूर्व आईपीएस सिमरनजीत सिंह ने 1999 के बाद से ही संगरूर और इसके आसपास कई चुनाव लड़े, लेकिन कभी जीत दर्ज नहीं कर सके। यहां तक कि पंजाब में तीन महीने पहले ही हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें अलमगढ़ सीट से हार मिली थी। उनकी पार्टी ने राज्य में एक भी सीट नहीं जीती थी। हालांकि, संगरूर लोकसभा चुनाव में उन्होंने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को 5800 वोटों से हरा दिया।
इन नतीजों के बाद जहां लोग सिमरनजीत सिंह की जीत पर आश्चर्य जता रहे हैं तो वहीं महज 100 दिन पहले पंजाब चुनाव में एकतरफा जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी के खराब प्रदर्शन पर भी सवाल उठा रहे हैं। ऐसे में अमर उजाला के इस एनालिसिस में हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों आम आदमी पार्टी को विधानसभा चुनाव के तीन महीने बाद ही उस सीट पर हार मिली है, जहां से पंजाब के मौजूदा सीएम भगवंत मान लगातार दो बार संसद पहुंचे? इस सीट पर मान ने तब भी जीत हासिल की, जब आप का पूरे राज्य में सिर्फ एक ही सांसद था।
आम आदमी पार्टी की हार की इतनी चर्चा क्यों?
विधानसभा चुनाव के ठीक बाद यह पंजाब में पहला चुनाव था। पंजाब सरकार की अग्निपरीक्षा भी थी। आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश और गुजरात में पंजाब मॉडल का प्रचार करने में जुटी थी। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को पंजाब में बड़ा झटका लगा है। संगरूर लोकसभा सीट आम आदमी पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। 2014 और 2019 में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद यहां की जनता ने जनाधार भगवंत मान के पक्ष में दिया था। यही इकलौती लोकसभा सीट थी, जहां आम आदमी पार्टी अपना करिश्मा दोहरा पाई थी। यहीं वजह है कि इस हार की चर्चा है।

