वरुण ने किया पेंशन छोड़ने का ऐलान कहा…अगर अग्निवीर इसके हकदार नहीं तो जनप्रतिनिधियों को सहूलियत क्यों?
-अन्य विधायक-सांसदों से भी की आगे आने की अपील
तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए लाई गई है ‘अग्निपथ’ योजना
चार साल के लिए भर्ती होंगे ‘अग्निवीर’, नहीं मिलेगी पेंशन
नई दिल्ली। बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने अग्निवीरों के समर्थन में अपनी पेंशन छोड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कम समय की सेवा करने वाले राष्ट्ररक्षकों को पेंशन का अधिकार नहीं है, तो मैं भी पेंशन छोड़ने के लिए तैयार हूं। गांधी ने ट्वीट किया, अल्पावधि की सेवा करने वाले अग्निवीर पेंशन के हकदार नही हैं तो जनप्रतिनिधियों को यह सहूलियत क्यूं? राष्ट्ररक्षकों को पेंशन का अधिकार नहीं है, तो मैं भी खुद की पेंशन छोड़ने को तैयार हूं। क्या हम विधायक-सांसद अपनी पेंशन छोड़ यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि अग्निवीरों को पेंशन मिले?
पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी लगातार बेरोजगारी और अग्निपथ योजना को लेकर अपनी ही सरकार पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने हाल ही में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि अग्निपथ योजना के बारे में कई नौजवानों ने मुझे सोशल मीडिया पर लिखकर अपनी चिंताएं बताई हैं।
रक्षा मंत्री को लिखा था पत्र
इससे पहले वरुण ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर अग्निपथ’ योजना को लेकर युवाओं के कई सवालों को उठाया था। उन्होंने अपील की थी कि युवाओं को असमंजस की स्थिति से बाहर निकालने के लिए सरकार अतिशीघ्र योजना से जुड़े नीतिगत तथ्यों को सामने रख कर अपना पक्ष साफ करें, जिससे देश की युवा ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग सही दिशा में हो सके।
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सांसदों-विधायकों को मिलती हैं ये सुविधाएं
कोविड के चलते 30% कटी है सांसदों की सैलरी
2020 में भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना वायरस महामारी आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट ने अप्रैल 2020 में फैसला किया कि सांसदों और मंत्रियों की सैलरी में 30% की कटौती की जाएगी। साथ ही साथ सांसदों की क्षेत्र विकास निधि भी अगले आदेश तक निलंबित कर दी गई।
सांसदों की सैलरी का गणित
मद पूर्व पात्रता (रुपये प्रति माह) नई पात्रता (रुपये प्रति माह)
वेतन 1,00,000 70,000
निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 70,000 49,000
कार्यालयी भत्ता 60,000 (कार्यालयी भत्ता : 20,000; सचिवीय सहायता : 40,000) 54,000 (कार्यालयी भत्ता : 14,000; सचिवीय सहायता : 40,000)
(इसके अलावा आवास, यात्रा भत्ता, टेलिफोन, इंटरनेट, सत्र के दौरान दैनिक भत्ता जैसे अन्य भत्ते और सुविधाएं भी मिलती हैं।)
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पेंशन: हर पूर्व सांसद को 20,000 रुपये महीना न्यूनतम पेंशन का प्रावधान है। अगर बतौर सांसद कार्यकाल 5 साल से ज्यादा रहा है तो हर साल के हिसाब से पेंशन में 1,500 रुपये जुड़ते जाते हैं।
विधायकों की सैलरी
हर राज्य में विधायकों के वेतन-भत्ते अलग-अलग हैं। तेलंगाना में विधायकों को वेतन-भत्तों के रूप में सबसे ज्यादा ढाई लाख रुपये प्रतिमाह मिलते हैं। इसके बाद उत्तराखंड का नंबर आता है जहां विधायकों को हर महीने 2 लाख रुपये से ज्यादा मिलते हैं। ज्यादातर राज्यों में विधायकों के वेतन-भत्ते एक से दो लाख रुपये के बीच हैं।
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