देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन, बोरवेल में गिरे राहुल को निकालने में लगे 100 घंटे

बच्चे की हालत नाजुक ,बोरवेल से निकलते ही ग्रीन कॉरिडोर से तत्काल बिलासपुर अपोलो अस्पताल भेजने की तैयारी

4 दिनों तक कड़े संघर्ष के बाद पांचवें दिन मिलेगी सफलता

हरिभूमि न्यूज़/ जांजगीर- सक्ती। अपने घर के बोरवेल में गिरे 11 वर्षीय बालक राहुल को बचाने पिछले 4 दिनों से प्रयासरत रेस्क्यू टीम को चट्टानों को काटकर सुरंग बनाते ही 40 घंटे से अधिक हो गए जबकि इस पूरे ऑपरेशन को शुरू हुए 100 घंटे से से भी अधिक हो गए हैं। शुक्रवार 10 जून को दोपहर करीब 2:00 बजे बोरवेल में गिरे राहुल को निकालने मंगलवार 14 जून रात तक रेस्क्यू टीम मशक्कत करती रही। उम्मीद है कि कुछ घंटे में टीम को सफलता मिल जाए ।

इधर राहुल को बोरवेल निकालने के पूर्व उपस्थित टीम ने पूर्व अभ्यास भी किया और उसकी नाजुक स्थिति को देखते हुए उसे उपचार के लिए सीधे अपोलो अस्पताल बिलासपुर भेजने पहले से ही ग्रीन कारीडोर तैयार कर लिया गया है। बोरवेल में फंसे राहुल साहू पिता रामकुमार साहू को बचाने सेना के साथ एनडीआरएफ एसडीआरएफ और जिला प्रशासन व पुलिस की टीम उसी दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई थी। पूरा रेस्क्यू ऑपरेशन एनडीआरएफ के कमांडर एंड चीफ वर्धमान मिश्रा के दिशा निर्देशन में चल रहा है। रविवार 12 जून की शाम तक बोरवेल के समानांतर 61 फीट का गड्ढा तैयार कर लिया गया था। इसके बाद राहुल जिस बोरवेल में फंसा है, वहां तक पहुंचने सुरंग बनाने का काम प्रशिक्षकों द्वारा रात करीब 12 बजे से प्रारंभ किया गया, लेकिन 2 फीट सुरंग बनाने के बाद चट्टान आ गई, जिसे काटकर सुरंग बनाने में ना केवल पूरी रात बल्कि सोमवार 13 जून के बाद मंगलवार 14 जून का पूरा दिन भी बीत गया। चट्टान आने पर बिलासपुर से बड़ी ड्रील मशीन मंगाई गई और सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ। इस दौरान पूरे 24 घंटे की मशक्कत के बाद 10 फिट से अधिक की सुरंग तैयार हो गई, इसके बाद राहुल और रेस्क्यू टीम के बीच मात्र 2 फीट की दूरी बच गई तो औजार का उपयोग ना करते हुए समीप के एरिया की खुदाई प्रशिक्षित टीम के द्वारा हाथों और हल्के औजारों से करते हुए बेहद सावधानी पूर्वक मलबा को निकालते हुए बोर तक सुरंग बनाने का काम शुरू किया गया। उम्मीद थी कि कुछ ही देर में राहुल रेस्क्यू टीम के द्वारा बाहर निकाल लिया जाएगा, लेकिन यहां पर भी चट्टानों ने रोड़ा अटका दिया। अब समस्या यह थी कि राहुल बोरवेल में जहां पर फंसा हुआ था, वहां तक पहुंचने के लिए भी चट्टानों को काटना पड़ा। खास बात यह है कि इसके लिए बड़ी मशीन का उपयोग भी नहीं कर सकते थे, छोटी ड्रिल मशीन काम नहीं कर पा रही थी। इस तरह की स्थिति में सोमवार रात करीब 12 बजे को सफल होने वाला रेस्क्यू ऑपरेशन मंगलवार 14 जून की रात 9बजे तक भी सफल नहीं हो पाया था। अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक ऑपरेशन सफल होने में कुछ देर और लग सकता है। इधर जैसे ही रेस्क्यू टीम राहुल के समीप पहुंचने लगी दूसरी ओर रेस्क्यू टीम के सदस्य चैन बनाकर उसे सीधे स्ट्रेचर के माध्यम से मौके पर तैनात एंबुलेंस में शिफ्ट करने खड़े रहे इसको लेकर उनके द्वारा मॉक ड्रिल भी किया गया। इसके अलावा राहुल के माता-पिता को भी टनल पास ले जाया गया है। यहां पर एंबुलेंस के साथ डाक्टरों की भी मौजूद है बताया जाता है कि बोरवेल से निकलते ही राहुल को उसके माता-पिता और डॉक्टरों की निगरानी में तत्काल ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से सीधे अपोलो अस्पताल बिलासपुर भेजा जाएगा क्योंकि 5 दिनों से बोरवेल में फंसे राहुल की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। बहरहाल इन पंक्तियों के लिखे जाने तक राहुल को बाहर निकालने चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अंतिम दौर में रहा और बाहर एंबुलेंस में राहुल के माता-पिता के साथ डॉक्टरों की टीम तैनात रही।

राहुल के समीप पहुंचने के बाद बल्ली लगाकर खड़ा किया गया स्ट्रेचर

रेस्कयू दल ने अंतिम कार्यवाही सुरंग के भीतर शुरू की तो बल्ली ले जाकर एक स्ट्रक्चर खड़ा किया गया। इस दौरान वाइब्रेटर से राहुल के नीचे के पत्थर को छीलने जैसा करके बेहद सावधानी के के साथ चट्टान को काटने का काम किया गया। यह कार्य एनडीआरएफ के द्वारा किया गया तो दूसरी ओर बाकी टीम स्टेचर में राहुल को ले जाकर एंबुलेंस तक पहुंचाने के लिए चयन बनाकर खड़ी रही। इस दौरान पूर्वाभ्यास किया गया।

अंतिम घंटे बाकी

जांजगीर कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने मीडिया को बताया कि ऑपरेशन लगभग सफल है। धैर्य बनाए रखें ।अंतिम घंटे बाकी हैं जब राहुल हमारे पास होगा ,और उसे तुरंत चिकित्सकीय सुविधा दी जाएगी।

एसपी बीमार, फिर लौटे मिशन में

घटना के बाद से लगातार ऑपरेशन में लगे एसपी विजय अग्रवाल कि कल तबीयत बिगड़ गई। उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया। फिलहाल उनके स्वास्थ्य में सुधार है और वह फिर ऑपरेशन में लौट आए हैं।

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