खुदरा मुद्रास्फीति मई में नरम होकर 7.04 प्रतिशत पर… महंगाई से थोड़ी राहत, खाने का सामान सस्ता

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नई दिल्ली। महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी को थोड़ी राहत मिली है। मई में भारत की रिटेल महंगाई दर 7.04% रही, जो कि अप्रैल महीने के मुकाबले इसमें मामूली गिरावट है। अप्रैल में रिटेल इंफ्लेशन रेट 7.79% पर पहुंच गया था। हालांकि, महंगाई दर अब भी आरबीआई के काबू से बाहर है।

खाने का सामान सस्ता होने से खुदरा मुद्रास्फीति मई महीने में घटकर 7.04 प्रतिशत पर आ गयी। हालांकि, यह पिछले लगातार पांच माह से भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (सीपीआई) मुद्रास्फीति 7.79 प्रतिशत पर थी। पिछले साल मई में खुदरा मुद्रास्फीति 6.3 प्रतिशत थी। खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई, 2022 में घटकर 7.97 प्रतिशत रही जो पिछले महीने 8.31 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है। सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।

ऐसी रही मुद्रास्फीति

सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 7.79 प्रतिशत, मार्च में 6.95 प्रतिशत, फरवरी में 6.07 प्रतिशत और जनवरी में 6.01 प्रतिशत रही। पहले से ही महामारी की मार झेल रहे परिवारों के लिए खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें एक बड़ी चिंता का विषय बन गई हैं। खाद्य मुद्रास्फीति, जो सीपीआई बास्केट का लगभग आधा हिस्सा है, मई में सालाना आधार पर 7.97 प्रतिशत बढ़ गई। वहीं, अप्रैल के मुकाबले मई महीने में खाने पीने की चीजें थोड़ी सस्ती हुई। अप्रैल में खाद्य महंगाई दर 8.31% पर थी।

लगातार पांचवां महीना

सोसाइटी जेनरल, बेंगलुरु में भारत के अर्थशास्त्री कुणाल कुंडू ने कहा, यह लगातार पांचवां महीना है, जब महंगाई दर आरबीआई की 6% की ऊपरी लिमिट के पार रही है। अप्रैल की तुलना में मई में थोड़ी राहत मिली है। पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कमी के कारण रिटेल इंफ्लेशन में कमी आई है।


कैसे आई कमी?

केंद्र सरकार ने 21 मई को पेट्रोल डीजल पर 8 और 6 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला लिया था। माना जा रहा है कि माल ढुलाई पर लागत घटने से खुदरा महंगाई में कमी आई है। हालांकि कच्चे तेल के दामों में उछाल लगातार बना हुआ है और अभी भी 120 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना हुआ है। ऐसे में महंगाई में कमी की कोई खास संभावना नहीं है। उधर, खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा अभी भी आरबीआई के टॉलरेंस बैंड की ऊपरी सीमा 6 फीसदी से ज्यादा है।

इधर, शेयर बाजार धड़ाम, दो दिन में डूबे 9.75 लाख करोड़

सेंसेक्स 1456 अंक गिरा

मुंबई। सप्ताह के पहले दिन भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। घरेलू शेयर बाजारों में सोमवार को लगातार दूसरे दिन बड़ी गिरावट रही और बीएसई सेंसेक्स 1,457 अंक का गोता लगाकर बंद हुआ। दो दिन में निवेशकों के 9.75 लाख करोड़ रुपए डूब गए। बताया जाता है कि अमेरिकी बाजारों के बाद आज घरेलू मार्केट धाराशायी हो गया. निफ्टी और सेंसेक्स 2 बजे तक लगभग 3 फीसदी से ज्यादा गिर चुके हैं। अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों के बाद, कुछ ग्लोबल एक्सपर्ट्स ने कहा है कि अब फेड 50 बीपीएस की रेट हाइक की बजाय 75 आधार अंकों तक की बढ़ोतरी करेगा। इस वजह से बाजार में गिरावट और हावी हो रही है। 15 जून की रात को फेड अध्यक्ष जेरोम पॉवेल की टिप्पणी इस सप्ताह के लिए सबसे महत्वपूर्ण होगी।

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