शीर्ष न्यायालय ने मेडिकल काउंसिलिंग समिति को लगाई फटकार
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नई दिल्ली।
नीट पीजी 2021 की काउंसलिंग के सभी राउंड खत्म होने के बावजूद भी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल पाठ्यक्रमों में इस साल करीब 1450 सीटें खाली हैं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। शीर्ष अदालत ने इसे डॉक्टर्स के भविष्य और उनकी जिंदगियों से खिलवाड़ बताया है। मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और मेडिकल काउंसलिंग कमेटी से जवाब तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी-21 में 1450 से अधिक सीटें खाली रहने पर बुधवार को मेडिकल काउंसिलिंग समिति (एमसीसी) को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसने न केवल उम्मीदवारों को मुश्किल में डाला है बल्कि इससे डॉक्टरों की भी कमी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और एमसीसी को 24 घंटे में हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कितनी सीटें खाली हैं और उनपर उम्मीदवारों को प्रवेश नहीं देने का कारण बताने को कहा है। शीर्ष अदालत ने केंद्र और एमसीसी की ओर से पेश अधिवक्ता को आज ही हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी। न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाश कालीन पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें अखिल भारतीय कोटे के तहत आयोजित ‘स्ट्रे काउंसलिंग’ के बाद भी खाली रह गई 1456 सीटों को भरने के लिए विशेष ‘स्ट्रे काउंसलिंग’ कराने का अनुरोध किया गया है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, अगर एक भी खाली सीट बचती है तो उसे खाली नहीं जाने दिया जाना चाहिए। यह मेडिकल काउंसिल का कर्तव्य है कि ये सीटें खाली नहीं जाए। काउंसिलिंग के हर चरण के बाद इसी तरह की समस्या आती है। प्रक्रिया को क्यों नहीं दुरुस्त किया जाता? सीटों को खाली छोड़कर हमें क्या हासिल होता है जबकि हमें डॉक्टरों की जरूरत है? यह न केवल उम्मीदवारों के लिए समस्या उत्पन्न करता है बल्कि यह भ्रष्टाचार को भी प्रोत्साहित करता है। अदालत ने केंद्र और एमसीसी की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा कि क्यों नहीं तनाव रहित शिक्षा प्रणाली बनाई जा सकती है जहां पर सबकुछ सुचारु हो। पीठ ने कहा, क्या आप विद्यार्थियों और उनके माता-पिता के तनाव के स्तर को जानते भी हैं? आप काउंसलिंग के बीच में क्यों और सीटें जोड़ रहे हैं। इस संबंध में पहले ही इस अदालत का फैसला है। सीटों की संख्या और कितने विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा इसको लेकर कट ऑफ तारीख होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि अगर विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिया गया तो वह मामले में आदेश पारित कर सकता है और उन उम्मीदवारों के लिए मुआवजा देने का निर्देश दे सकता है जिन्हें प्रवेश से इंकार किया गया। इसके बाद अदालत ने अधिवक्ता से पूछा कि प्रवेश का प्रभार किसके पास है, इसपर वकील ने कहा कि महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवा (डीजीएसएस) के पास। अदालत सात डॉक्टरों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें नीट-पीजी 2021-22 के लिए अंतिम मॉप-अप काउंसलिंग राउंड सात मई को समाप्त होने के बाद खाली पड़ी 1,456 मेडिकल पीजी सीटों के लिए काउंसलिंग के एक विशेष दौर की मांग की गई थी।
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आज फिर सुनवाई
शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता से सूचना मिलने के बाद मौखिक टिप्पणी की, डीजीएचएस से कहें कि वह बृहस्पतिवार को अदालत में मौजूद रहें। पीठ ने कहा कि कुछ जिम्मेदारी तय करने की जरूरत है। अदालत ने कहा, विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा है। पहले उन्हें कठिन पढ़ाई करनी होती और फिर परीक्षा देनी होती है। अगर आपको 99 प्रतिशत अंक भी परीक्षा में आते हैं तो प्रवेश की समस्या आती हैं उसके बाद विशेषज्ञता की समस्या आती है।
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जवाब दे केंद्र, सीटों को क्यों नहीं भरा गया?
जस्टिस एमआर शाह और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने केंद्र से कहा कि आप डॉक्टरों के भविष्य के साथ खेल रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार और एमसीसी को एक जवाबी हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया।कोर्ट ने पूछा है कि अतिरिक्त मॉप-अप काउंसलिंग राउंड आयोजित करके इन सीटों को क्यों नहीं भरा गया।
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एक भी सीट खाली है, तो उसे भरा जाना चाहिए
शीर्ष अदालत ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए यह भी चेतावनी दी है कि वह सरकार को डॉक्टरों की जिंदगियों और भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के लिए मुआवजे का आदेश देने पर विचार कर सकती है। पीठ ने कहा कि अगर एक भी सीट खाली है, तो उसे भरा जाना चाहिए और बर्बाद नहीं होने दिया जाना चाहिए … अगर छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाता है, तो हम आपके खिलाफ डॉक्टरों के जीवन और उनके भविष्य के साथ खेलने के लिए मुआवजे का आदेश देंगे।
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कोर्ट के आदेश का इंतजार क्यों कर रहे हैं?
शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार की ओर से सुनवाई पर प्रतिनिधित्व नहीं होने पर भी नाराजगी जाहिर की। पीठ ने कहा कि जब आपको इतने डॉक्टरों और परम विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी तो सीटें खाली रखने से आपको क्या मिलेगा? पीठ ने कहा कि आपको एक और मॉप-अप राउंड आयोजित करना चाहिए था। क्या आपके द्वारा कोई जिम्मेदारी महसूस की गई है? पीठ ने सख्त लहजे में कहा कि हर बार कोर्ट को दखल देना पड़ता है। आप कोर्ट के आदेश का इंतजार क्यों कर रहे हैं? यह डॉक्टरों के भविष्य से जुड़ा गंभीर मामला है। आप उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं जबकि हमारे देश में डॉक्टरों की कमी है।
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