दिल्ली जाकर हमारे नेता राहुल गांधी को बताऊंगा आपकी पीड़ा व मांग
हसदेव अरण्य को बचाने आंदोलन के समर्थन में आए पंचायत मंत्री, कहा ग्रामीण एकजुट तो मेरा भी समर्थन
प्रभावित क्षेत्र घाटबर्रा, साल्ही, हरिहरपुर, बासेन का किया दौरा, कटाई के बदले पौधरोपण नहीं होने पर जताई नाराजगी
अंबिकापुर। कोयला खदान के विरोध में हसदेव अरण्य को बचाने चल रहे आंदोलन को अब प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव का समर्थन मिल गया है। आज खुद स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव खनन प्रभावित क्षेत्र घाटबर्रा, हरिहरपुर, साल्ही, बासेन का दौरा किया। ग्रामीणों के आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव ने बड़ा बयान भी दिया है। उन्होंने कहा कि मैं आपके आगे-आगे चलूंगा। फिर चाहे गोली चले या डंडा पहली गोली व डंडा मैं खाऊंगा। मैं यहां आया हूं तो आपकी एकजुटता के कारण ही आया हूं। यदि आप आपस में बंट जाएंगे तो हम लोगों के लिए भी मुश्किल हो जाता है कि किसके साथ खड़े हों। इसलिए एकजुटता बनाए रखें।
कैबिनेट मंत्री ने वन विभाग द्वारा काटे गए हरे भरे वृक्षों का अवलोकन करने के साथ ही आंदोलन कर रहे ग्रामीणों से बात की। इस दौरान मंत्री श्री सिंहदेव कंपनी व प्रशासन की लापरवाहियों को लेकर बेहद सख्त नजर आए। ग्रामीणों ने बात करते हुए उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे स्वयं दिल्ली जाकर ग्रामीणों की मंशा, पीड़ा और हसदेव अरण्य को बचाने की मांग से राहुल गांधी को अवगत कराएंगे। राहुल गांधी ने पहले भी इस क्षेत्र में आकर हसदेव अरण्य को बचाने पर जोर दिया था और अभी विदेश में रहते हुए भी उन्होंने आंदोलन को जायज बताया है। ग्रामीणों की बात राहुल गांधी तक पहुंचाई जाएगी।
घाटबर्रा पहुंचे मंत्री श्री सिंहदेव ने निरीक्षण के दौरान काटे गए पेड़ों की जानकरी लेने के साथ ही वर्तमान में संचालित खदान के लिए काटे गए जंगल के एवज में किए गए पौधरोपण व पेड़ों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से पूछा कि कि जहां खदान में कार्य पूर्ण हो गए है वहां मिट्टी भरने के बाद पेड़ लगे या नहीं। वन विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि खदान के गड्ढों को भरने के बाद अब तक पेड़ नहीं लगाए गए है जिसपर उन्होंने नाराजगी व चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यही कारण है कि जनता खदान के विरोध में है। मै पूछना चाहता हूं कि विगत दिन जो पेड़ भारी लाव-लश्कर की उपस्थिति में काटे गए उसके एवज में दोगुना पेड़ कहा लगाया गया, मुझे जरा बतायें। नियम है एक एकड़ के बदले दो एकड़ एरिया में पेड़ लगना चाहिए, काटने तो आ गये, लेकिन पेड़ कहा लगा, इसकी जानकारी कौन देगा। गलत जानकारी और गलत आंकड़ा देकर ये सबको भ्रमित कर ग्रामीणों को परेशान कर रहे हैं लेकिन यह नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि नियम और कानून से काम होगा, जनता दुबारा ग्रामसभा चाहती है। ग्राम सभा बुलाई जाएगी और तब फैसला होगा। जब जनता ने एकबार कह दिया कि वह ग्रामसभा फर्जी है तो इसे माना जाए। अन्यथा तो उस ग्रामसभा की जांच होनी चाहिए, उनकी भी जांच हो जो जिला पंचायत के प्रस्ताव को दरकिनार कर रहे हैं और ग्राम सभा को वैधानिक बता रहे हैं। जब कि खुद वर्तमान सरपंच सहित पंच बता रहे हैं कि कोई ग्रामसभा की वैधानिकता की जांच हेतु उनका पक्ष लेने नहीं आया, फिर उसे वैधानिक बता कर गलत जानकारी कैसे सार्वजनिक की जा सकती है। जिला पंचायत ने कहा है, जनपद ने कहा है और ग्राम पंचायत व ग्राम खुद चाहते हैं। त्रि-स्तरीय पंचायती राज की पूरी व्यवस्था चाहती है कि ग्रामसभा हो तो होगा और वहीं फैसला माना जायेगा जो ग्रामसभा से आएगा। इस दौरान जिपं अध्यक्ष श्रीमती मधु सिंह, जिपं सदस्य राकेश गुप्ता, राजनाथ सिंह, विधायक प्रतिनिधि सिद्धार्थ सिंह देव, राजीव सिंह, ओमप्रकाश सिंह, जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जनपद सदस्य, सरपंच सहित काफी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।
ग्रामीणों ने कहा हो रहा गलत व्यवहार
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने तीर-कमान, भाले, टांगे, लाठी-डंडे हाथ में लेकर अपना जंगल बचाने हेतु धरने पर बैठे लोगों से चर्चा की। उन्होंने खाना बनते हुए देख पूछा रोज कितना चावल लग रहा है, दाल और सब्जी कितनी लग रही है। घाटबर्रा के कैम्प में रोज 1 क्विंटल चावल की खपत होना लोगों ने बताया। इस दौरान चर्चा में महिलाओं ने कहा कि हम जंगल छोड़ कर कहीं नहीं जायेंगे, हमारे पूर्वजों ने यह धरती माता हमें सौंपी है और इसके लिए जान भी देना पड़े तो देंगे हम इसे छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाले। वहीं लोगों ने यह भी जानकारी दी की वर्षों से यहां पर रह रहे हैं, वन अधिकार पत्र की मांग कई बार की लेकिन अब तक पट्टा नहीं मिला। लोगों ने बताया कि जब सैकड़ों की संख्या में पुलिस, शासन-प्रशासन की टीम यहां जंगल काटने हेतु पहुंची और हम विरोध कर रहे थे तो हमारे साथ उनका व्यवहार सही नहीं था, महिलाओं को काफी चोट लगी है, किसी का कपड़ा फटा, किसी को दूर फेंका गया, हमारे जंगल में हमें ही नहीं जाने दिया जा रहा था, कोई सरकार और उसके लोग ऐसे कैसे कर सकते हैं। समझ से परे है कि हम संवैधानिक व्यवस्था में हैं या कहीं और हैं। जिसे चुन कर वोट देकर हमने भेजा है वह कैसे हमारे ही विरुद्ध खड़ा हो रही है।
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कोयला हसदेव से ही क्यों
धरनास्थल हरिहरपुर में ग्रामीणों को सम्बोधित करते हुए पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि वैश्विक स्तर पर पर्यावरण को बचाने के लिए उसे स्वच्छ एवं सुंदर रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और वैश्विक स्तर पर यह तय किया गया है कि 2070 तक कोयले से बिजली बनाने की निर्भरता हमें पूरी तरह समाप्त करनी है, हमारे देश को 2050 का लक्ष्य दिया गया है, हमने 2030 तक कि बात कही है, अभी 2022 चल रही है। जब आने वाले समय में हमें इससे दूर जाना है और हमारे पास कोयले की अकूत भंडार है तो हम केवल वनक्षेत्रों का ही कोयला क्यों निकालें, हम ऐसे क्षेत्रों पर भी जा सकते हैं जहां वन न हो। हमें ऐसी सोच रखनी है, जहां हम ज्यादा से ज्यादा पर्यावरण बचा सकें। मेरा व्यक्तिगत सुझाव यही है कि यदि कोयला जरूरी है तो फारेस्ट लैंड को छोड़ ग्राउंड एरिया को लेना चाहिए। छत्तीसगढ़ सरकार ने ही कोरबा के दो बिजली के पावर प्लांट जिनका अब समय पूर्ण होने वाला है, पुराने हो गये हैं उन्हें बंद करने का फैलसा लिया है और नए प्लांट नहीं लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब हमारे पास 80 साल का कोयला मौजूद है और हम यह तय कर चुके हैं कि 2030 तक कोयले से बिजली बनाने की निर्भरता पूरी तरह से छोड़ देंगे फिर क्यों हम हसदेव को बर्बाद करें। एक सघन वन क्षेत्र को तबाह ना करें। मेरा मानना है इस पर फिर से सोचने, विचार करने और आप सभी के साथ चलने की आवश्यकता है। यदि हसदेव अरण्य को हम बिजली की आवश्यकता के लिए तबाह कर दिए तो हमारे पर्यावरण पर, हमारे तापमान पर काफी चीजों पर काफी फर्क पड़ेगा। ग्राउंड एरिया से कोयला निकालने के अलावा विदेशों से भी कोयला सस्ता मिल रहा है तो वहां से क्यों न लाकर बिजली बनाई जाए। केवल हसदेव को ही उजाड़ कर बिजली बन सकती है अथवा नहीं बन सकती ऐसी कोई बात नहीं है। फिर हम दूसरे संसाधनों एवं दूसरे चीजों की ओर रुख क्यों नहीं करना चाहते। यह केवल घाटबर्रा, फतेहपुर, साल्ही, हरिहरपुर की बात नहीं है बल्कि यह पूरे सरगुजा एवं देश की बात है इस पर सोचना होगा, समझना होगा।
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परसोड़ीकलां, कटकोना में जीत हुई, हसदेव भी बचेगा
स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव ने कहा कि परसोड़ीकला एवं कटकोना दोनों ग्राम पंचायत इसके उदाहरण हैं कि जहां लोग एकजुट रहे हैं, वहां खदान नहीं खुल पायी है। आप सब भी एकजुट रहे तो जीत हमारी होगी, हसदेव अरण्य को हम कटने नहीं देंगे। हसदेव अरण्य को बचाया जायेगा, हम सब साथ खड़े होंगे।
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कोल ब्लॉक शुरू हुआ तो कटेंगे आठ लाख पेड़
आंदोलनकारियों को सम्बोधित करते हुए मंत्री सिंहदेव ने कहा कि आज जब लगभग 8 लाख पेड़ हसदेव क्षेत्र से कटने वाले हैं, ऐसे में यह सोचिए कि जब पहले से जो खदान संचालीत है वह खदान के नियम व शर्तों का ही पूर्ण रूप से पालन नहीं कर रही तो फिर आगे जो ब्लॉक आवंटन हुए हैं, वहां के एक एकड़ पेड़ के बदले दो एकड़ पेड़ लगाने का जो नियम है उसका पालन कहा हो रहा है। परसा-केते की संचालित कोल ब्लॉक के विरुद्ध बताया जा रहा है। जशपुर में पौधारोपण कराया गया है। अब जो नई प्रस्तावित खदान है उसके बदले बताया जा रहा है कि कोरिया में पोधोरोपन किया जाएगा। बर्बाद होगा हसदेव, सरगुजा का एरिया, यहां उजाड़ बना दिया जायेगा और वृक्षारोपण कहीं और होगा। यहां की आबोहवा का क्या, यहां के पर्यावरण का क्या? मैं आम लोगों की जो भी राय है उसके साथ खड़ा हूँ और मेरी व्यक्तिगत राय है कि हमें हसदेव अरण्य को बचाना चाहिए। यह हमारे पर्यावरण एवं स्वच्छ हवा, पानी के लिए जरूरी है।

