18 मासूमों की हुई थी मौत
गाजियाबाद। वाराणसी में 16 साल पहले 2006 में हुए सीरियल बम धमाकों के दोषी वलीउल्लाह को गाजियाबाद की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। जिला न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा है कि दोषी को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए। संकट मोचन मंदिर वाराणसी पर हुए बम धमाके में 7 लोग मारे गए थे और 26 लोग घायल हुए थे। इस मामले में 47 गवाह पेश किए गए। कोर्ट ने दोषी वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुनाई है। दूसरा मुकदमा दशाश्वमेघ घाट पर बम धमाके से जुड़ा था। विस्फोटक अधिनियम की धारा 3, 4 और 5 में वलीउल्लाह को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई है, जबकि टाडा में उसे उम्रकैद हुई है। इधर, वलीउल्लाह को सोमवार को अदालत द्वारा सुनाई गई सजा ने दहला दिया। भरी अदालत में सजा-ए-मौत का फैसला सुनते ही वलीउल्लाह ने दोनों हाथों से सिर पकड़ लिया और वह मुंह ही मुंह में कुछ बुदबुदाने लगा। सजा सुनकर हड़बड़ाया वलीउल्लाह इतनी धीमी आवाज में बुदबुदा रहा था कि उसने अपना बोला खुद ही सुना और फिर गर्दन नीचे की ओर लटका कर पांवों की उंगलियों को एक दूसरे से रगड़ने लगा। दरअसल वलीउल्लाह ऐसा कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा-ए-मौत के फैसले के बाद बौखलाहट में कर रहा था। बीते शनिवार को ही उसे सजायाफ्ता मुजरिम घोषित करके अदालत ने सजा मुकर्रर करने की तारीख सोमवार 6 जून 2022 तय कर दी थी।
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क्या है वाराणसी ब्लास्ट
यह वही वलीउल्लाह है जिसने 7 मार्च 2006 को वाराणसी में सिलसिलेवार बम धमाके को अंजाम दिया था। तब बम विस्फोट वाराणसी के संकटमोचन मंदिर में किया गया था, जबकि वहीं के दशाश्वमेध मार्ग पर जिंदा बम बरामद हुआ था। बम धमाके में 18 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं 50 बेकसूर बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। वाराणसी की उस घटना के बाद से ही वलीउल्लाह को सुरक्षा के मद्देनजर गाजियाबाद की डासना जेल की काल-कोठरी में कैद करके रखा था।
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16 साल में नहीं पकड़े जा सके तीन आरोपी
वलीउल्लाह से पूछताछ में उसके साथियों मुस्तकीम, जकारिया और शमीम के नाम भी सामने आए थे। ये सभी उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। बम धमाकों के 16 साल बाद भी ये आरोपी नहीं पकड़े जा सके हैं। ऐसा माना जाता है कि सुरक्षा एजेंसियों का शिकंजा कसने के बाद ये आरोपी बांग्लादेश के रास्ते पाकिस्तान भाग गए थे और फिर लौटकर नहीं आए। इन धमाकों में 16 साल बाद भी तीन आरोपियों का नहीं पकड़ा जाना देश की सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े करता है।
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