टेरर फंडिंग केस एनआईए ने मांगी थी फांसी, मलिक ने कहा-मुझे हर सजा मंजूर
—
खास बातें
00
00 सुरक्षाबल पहले से ही अलर्ट था, मौके पर ड्रोन से निगरानी
—
नई दिल्ली। प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक को टेरर फंडिंग के केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। यासीन मलिक को हवालात से कोर्टरूम लाया गया था। इस बीच अदालत के बाहर कई लोग तिरंगा लेकर पहुंच गए। वहीं, श्रीनगर के पास मैसुमा में यासीन मलिक के घर के पास मलिक समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। यहां पत्थरबाजी के बाद हालात सुरक्षाकर्मियों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े।
यासीन मलिक पर पाकिस्तान के समर्थन से कश्मीर में आतंकी घटनाओं के लिए फंडिंग करने और आतंकियों को तबाही का सामान मुहैया कराने के केस दर्ज थे। एनआईए ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में दोषी कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मृत्युदंड दिए जाने का बुधवार को अनुरोध किया था। यासीन मलिक ने अवैध गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत लगाए गए आरोपों समेत उस पर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था। एजेंसी ने विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत के समक्ष यह अभिवेदन दिया, जबकि मलिक की सहायता के लिए अदालत द्वारा नियुक्त न्याय मित्र ने उसे इस मामले में न्यूनतम सजा यानी आजीवन कारावास दिए जाने का अनुरोध किया था। इस बीच, मलिक ने न्यायाधीश से कहा कि वह अपनी सजा का फैसला अदालत पर छोड़ रहा है। अदालत ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 19 मई को दोषी करार दिया था। उसने एनआईए के अधिकारियों को मलिक पर जुर्माना लगाए जाने के लिए उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने के निर्देश दिए थे। मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करता। इन आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं। अदालत ने पूर्व में, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद युसूफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख तथा नवल किशोर कपूर समेत कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे। लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया, जिन्हें मामले में भगोड़ा अपराधी बताया गया है।
—
तीन बड़े आरोप—
- वायुसेना के चार जवानों की हत्या
- जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद की बेटी का अपहरण
- कश्मीरी पंडितों की हत्या कर उन्हें घाटी छोड़ने को मजबूर करना
–
दो मामलों में उम्रकैद और 5 केस में 10-10 लाख का जुर्माना
विशेष जज ने यासीन मलिक पर आईपीसी धारा 120 बी के तहत 10 साल, 10हजार जुर्माना, 121ए के तहत 10 साल की सजा 10 हजार जुर्माना, वहीं 17यूएपीए के तहत आजीवन कारावास और 10 लाख जुर्माना लगाया गया है। यूएपीए की धारा 13 के तहत 5 साल की सजा, यूएपीए की धारा15 के तहत 10 साल की सजा, यूएपीए की धारा 18 के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार जुर्माना, यूएपीए 20 के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार जुर्माना, यूएपीए की धारा 38 और 39 के तहत 5 साल 5 हजार जुर्माना लगाया गया है।
–
अदालत में कहा था- मुझे फांसी मंजूर होगी
बुधवार को फैसला आने से पहले कोर्ट पहुंचे यासीन ने कहा, अगर मैं 28 साल के दौरान किसी आतंकवादी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं और खुफिया एजेंसियां यह साबित करती हैं, तो मैं भी राजनीति से संन्यास ले लूंगा। मुझे फांसी मंजूर होगी। मैंने सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। मैं अपने लिए कुछ भी नहीं मांगूंगा। मैं अपनी किस्मत का फैसला अदालत पर छोड़ता हूं।
–
श्रीनगर में इंटरनेट सेवाएं बंद
अलगाववादी नेता यासीन मलिक को दिल्ली की एनआईए कोर्ट में सजा सुनाए जाने से ठीक पहले घाटी का माहौल खराब करने की कोशिश की गई है। श्रीनगर में तत्काल प्रभाव से इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। पथराव की घटना के बाद शहर भी बंद हो गया है। यहां श्रीनगर के मैसूमा इलाके में यासीन मलिक समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। ऐहतियात के तौर पर सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला और भीड़ पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए हैं।
—
बूथ एजेंट कश्मीर में आतंक का आका
13 अक्टूबर 1983 का वह दिन। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में भारत और वेस्ट इंडीज के बीच क्रिकेट मैच चल रहा था। लंच ब्रेक हुआ। तभी कुछ लोग पिच के पास चले गए और उसे खराब करने की कोशिश की। इस मामले में 12 लोगों पर मुकदमा चलाया गया. ये पूरा कांड जिस संगठन ने किया था, उसका नाम था ताला पार्टी। दो साल बाद 13 जुलाई 1985 को ख्वाजा बाजार में नेशनल कॉन्फ्रेंस की रैली हो रही थी। इस रैली में 70 लड़के पहुंचे और पटाखे फोड़ दिया। सबको लगा कि बम विस्फोट हुआ है। चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक 19 साल के लड़के को पकड़ लिया। इस लड़के का नाम था- यासीन मलिक। यासीन मलिक पहली बार जब जेल गया था, तब उसकी उम्र मात्र 17 साल थी। वो यासीन मलिक, जिसने जम्मू-कश्मीर में आतंक को बढ़ाया। कश्मीर की आजादी की वकालत करता रहा। बम-बारूद और बंदूक के दम पर डर फैलाता रहा।
—
तिलमिलाया पाकिस्तान
आतंकी यासीन मलिक को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह पाकिस्तान को यह नागवार गुजर रहा है। पाकिस्तानी नेता यासीन को सियासी कैदी बता रहे हैं। पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने यासीन मलिक को सजा दिए जाने का विरोध किया है। पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी ने यासीन मलिक का समर्थन किया। अफरीदी ने आतंकी का समर्थन करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा- भारत अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए कोशिश कर रहा है। मैं संयुक्त राष्ट्र से आग्रह करता हूं कि कश्मीरी नेताओं के खिलाफ चल रहे गैरकानूनी ट्रायल्स में दखल दें। पाकिस्तान के पूर्व डिप्लोमैट और भारत में एम्बेसेडर रह चुके अब्दुल बासित ने भी यासीन मलिक के पक्ष में लिखा। बासित के मुताबिक- यह ज्युडिशियल टेरेरिज्म शर्मनाक है।
0000000
000000
0000000000

