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- अंतरराष्ट्रीय बाजार से पैसा लेना हो जाएगा मुश्किल
-टैक्स में छूट व प्रभावित पर्यटन से बिगड़े हालात
नई दिल्ली। पड़ोसी देश श्रीलंका अपने आजादी के बाद से अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। इसी आर्थिक संकट इतना ज्यादा गहरा गया है कि अब देश देवालिया हो गया है। श्रीलंका को अपना 7 करोड़ 80 लाख डॉलर चुकाने के लिए 30 दिनों की मोहलत मिली हुई थी जिसकी अवधि बुधवार को समाप्त हो गई और वह कर्जा न चुका पाने के कारण डिफाल्टर बन गया। इस मामले में श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि उनका देश मौजूदा आर्थिक संकट के हालात को टालने के लिए कर्ज नहीं चुका रहा है यानि ये प्रिएम्टिव डिफाल्ट है।
बता दें कि किसी भी देश का दिवालिया होना उसकी मुद्रा और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद नुकसानदेह है। दिवालिया होने के बाद उस देश का किसी अन्य देश या अंतरराष्ट्रीय बाजार से पैसा लेना मुश्किल हो जाता है और ऐसी अवस्था देश की छवि को भी गहरा नुकसान पहुंचाती है। किसी भी देश को दिवालिया उस स्थिति में घोषित किया जाता है जब कोई देश किसी अन्य देश या फिर अंतरराष्ट्रीय संगठनों से लिया हुआ पैसा या फिर उसकी किस्त को समय पर नहीं चुका पाता।
गवर्नर की सफाई
रिपोर्ट के मुताबिक देश के आर्थिक संकट और विदेशी कर्ज को लेकर जब श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर पी नंदलाल वीरसिंघे से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमने इस संबंध में पहले ही लोगों से कहा था कि जब तक कर्ज को रिस्ट्रक्चर नहीं कर लिया जाता तब तक हम किसी भी देश को भुगतान नहीं कर पाएंगे, तो आप ऐसी स्थिति को प्रीएम्प्टिव डिफॉल्ट कह सकते हैं।
ऐसे बिगड़े हालात
बता दें कि पड़ोसी देश श्रीलंका आज जिस स्थिति का सामना कर रहा है वह सिर्फ कुछ दिनों में नहीं बनी है। श्रीलंका की अर्थव्यस्था पर्यटन और खेती पर ज्यादा निर्भर है। लेकिन कोरोना महामारी और ईस्टर्न डे पर हुए आतंकी हमले से उसका पर्यटन बुरी तरह से प्रभावित हुआ। इसके बाद ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से लोगों को राहत देने के लिए टैक्स में छूट की व्यवस्था ने श्रीलंका को बुरी हालत में पहुंचा दिया।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने दी थी चेतावनी
पिछले महीने, दुनिया की दो सबसे बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने चेतावनी दी थी कि श्रीलंका अपने कर्जों को नहीं चुका पाएगा। फिच रेटिंग्स ने कहा था कि श्रीलंका के दिवालिया होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने इसी तरह की घोषणा की और कहा था कि श्रीलंका का डिफॉल्टर साबित होना निश्चित है। ये क्रेडिट रेटिंग एजेंसिया देशों को एक रेटिंग जारी करती है जिसका उद्देश्य निवेशकों को आने वाले जोखिम के स्तर को समझने में मदद करना है।
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