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इंट्रो
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अहम आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिला मजिस्ट्रेट उस क्षेत्र को सुरक्षित करे जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है। इसके साथ ही मुस्लिमों के प्रार्थना करने या धार्मिक गतिविधि के लिए प्रवेश को रोका ना जाए। इधर, जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे मामले में कमिश्नर को हटा दिया, उनपर रिपोर्ट लीक करने का आरोप है।
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वाराणसी के जिलाधिकारी को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के अंदर उस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जहां शिवलिंग पाये जाने की बात कही जा रही है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्ह की पीठ ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का कामकाज देखने वाली कमेटी ऑफ मैनेजमेंट अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि मुस्लिम बगैर किसी बाधा के नमाज अदा करना जारी रख सकते हैं। हालांकि, शीर्ष न्यायालय ने दीवानी न्यायाधीश, वाराणसी के समक्ष आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया जो ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े वाद की सुनवाई कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सोचते हैं कि ये बैलेंस आदेश है। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका पर हिंदू पक्ष को नोटिस जारी किया है। हिंदू पक्ष के जिन याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी हुआ है, उनमें राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक शामिल हैं। इसके अलावा यूपी सरकार, बनारस के डीएम, पुलिस कमिश्नर और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के बोर्ड के सभी ट्रस्टी को नोटिस जारी किया गया है। मामले की सुनवाई 19 मई को होगी।
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जस्टिस ने पूछा- कहां मिला शिवलिंग
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम आदेश जारी करेंगे कि जिला मस्जिट्रेट उस जगह की सुरक्षा करें जहां शिवलिंग मिला है, लेकिन ये लोगों के नमाज अदा करने के रास्ते में नहीं आना चाहिए। उन्होंने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा-शिवलिंग कहां मिला है? इस पर मेहता ने कहा, ‘वजूखाने में, जैसा कि मैं समझता हूं, वह जगह है जहां आप हाथ-मुंह धोते हैं और नमाज अदा करने के लिए एक अलग जगह है।
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सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में क्या कहा?
00 शिवलिंग के दावे वाली जगह को सुरक्षित किया जाए।
00 मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से न रोका जाए।
00 सिर्फ 20 लोगों के नमाज पढ़ने वाला आदेश अब लागू नहीं।
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तीन दिन तक चला सर्वे, सारे सबूत कैद
ज्ञानवापी मस्जिद का सच कानूनी रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। सबूत तस्वीरों में कैद हो गए। तहखाने से लेकर गुंबद तक का वीडियो तैयार हो गया। तीन राउंड में सर्वे का काम हो गया। अब सच का इंतजार है।
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खुलवाए गए थे तहखाने
ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पहला सर्वे का 14 मई को हुआ था। पहले दिन सुबह 8 बजे से 12 बजे तक सर्वे हुआ। राउंड-1 में सभी 4 तहखानों के ताले खुलवा कर का सर्वे किया गया। दूसरे दिन वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है।
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इधर, एडवोकेट कमिश्नर को कोर्ट ने हटाया
वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर (अधिवक्ता आयुक्त) नियुक्त किए गए अजय मिश्रा को उनके एक सहयोगी द्वारा मीडिया में खबरें लीक करने के आरोप में मंगलवार को पद से हटा दिया। सहायक एडवोकेट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा को लापरवाही के आरोप में पद से हटा दिया है। वहीं, अधिवक्ता आयुक्त पद से हटाए गए अजय मिश्रा ने अपनी सफाई में कहा कि उनके साथ धोखा हुआ है और जो भी हुआ, उन्हें उसकी उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा, मैंने जिस फोटोग्राफर को रखा, उसने धोखा दिया है। मैंने जिस पर विश्वास किया, उससे मुझे धोखा मिला। इसमें मैं क्या कर सकता हूं। इस सवाल पर विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने उन पर असहयोग का आरोप लगाया है, मिश्रा ने कहा, हो सकता है कि उनको लगा होगा। मेरे हिसाब से मैंने कोई असहयोग नहीं किया। मिश्रा ने कहा, आयोग की कार्यवाही विशाल सिंह के ही निर्देशन में हुई। अब विशाल जी का हृदय ही जानेगा और मेरा हृदय जानेगा कि मैंने उनका सहयोग किया है या नहीं। दरअसल, ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे के काम के लिए अदालत द्वारा नियुक्त विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्रा और सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह पर आयोग की कार्यवाही में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया था।
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सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने दो दिन का समय
अदालत ने सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिये दो और दिन का समय दिया है क्योंकि इलाके के नक्शे बनाने में कुछ समय लग रहा है। ऐसे में संभव है कि सर्वे रिपोर्ट 19 मई को अदालत में पेश की जाए। पहले यह रिपोर्ट 17 मई को ही पेश की जानी थी।
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