तमीज’ या ‘मैनर्स’ ये एक ऐसी चीज है जो पैरेंट्स को बचपन से ही अपने बच्चों को सिखानी होती है। मैनर्स, ये एक बहुत बड़ा शब्द है क्योंकि इसके अंदर एक नहीं बल्कि कई सारी चीजें आती हैं। अपने बच्चे को सोसायटी, स्कूल और घर-परिवार के हिसाब से ढ़ालने के लिए पैरेंट्स को बच्चे को कुछ मैनर्स सिखानी होती हैं।
कुछ आदतें या मैनर्स अब ऐसी हो गई हैं जिन्हें शायद पैरेंट्स भूल ही चुके हैं कि उन्हें अपने बच्चे को सिखानी हैं। इस आर्टिकल में हम उन्हीं भूली-बिसरी आदतों पर नजर डाल रहे हैं, जो बच्चों को सिखानी बहुत जरूरी हैं लेकिन पैरेंट्स इन्हें भूल चुके हैं।
कब बंद करना है फोन
अब छोटे बच्चों तक के पास मोबाइल फोन है। अगर आपके बच्चे के पास उसका अपना मोबाइल फोन है तो आप उसे फोन एटिकेट जरूर सिखाएं। इसमें बच्चे को पता होना चाहिए कि उसे कब अपना मोबाइल बंद करना है, कब साइलेंट पर रखना है जैसे कि मूवी थिएटर, मंदिर, बर्थडे पार्टी और बातचीत चल रही हो, तब बच्चे को फोन का इस्तेमाल नहीं करना है और उसे साइलेंट पर रखना है। बच्चे के हाथ में मोबाइल थमा देना ही काफी नहीं है बल्कि उसे इसका सही इस्तेमाल बताना भी जरूरी है।
युअर वेलकम
बच्चे को प्लीज और थैंक्यू तो कहना आता है लेकिन अब वो वेलकम कहना भूलते जा रहे हैं। कई बच्चे किसी के थैंक्यू बोलने पर नो प्रॉब्लम, व्हाटएवर, ओके कहते हैं या फिर कोई रिप्लाई नहीं देते हैं। हालांकि, थैंक्यू का सही जवाब ‘यू आर वेलकम’ या ‘माई प्लैजर’ होता है।
सर्विस वर्करों को थैंक्यू
हम अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को तो थैंक्यू बोल देते हैं लेकिल रेस्टोरेंट, थिएटरों या ऑफिसों में हमें सर्विस देने वाले लोगों का धन्यवाद देना भूल जाते हैं। बच्चे को सिखाएं कि उसे लोगों को अपने नौकरी की तरह ट्रीट नहीं करना है बल्कि हर किसी के प्रति आभार रखना है।
खांसी या छींक आने पर
हम बच्चों को अक्सर सिखाते हैं कि खांसी या छींक आने पर, उन्हें अपने मुंह या नाक पर हाथ रखना है ताकि कीटाणु न फैलें। गोल्डन रूल्स गाल के संस्थापक और एटिकेट एक्सपर्ट लीजा ग्रोट का कहना है कि आज के समय में बच्चे को ये आदत सिखाना और भी ज्यादा जरूरी हो गया है। इससे आसपास के लोग भी सहज और सुरक्षित महसूस कर पाते हैं।
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