आगामी शैक्षणिक सत्र 2022-23 से भारतीय और विदेशी संस्थान एक साथ संयुक्त डिग्री, ड्यूल डिग्री और ट्विन प्रोग्राम में पढ़ाई करवा सकेंगे। सरकार ने यूजीसी विनियमन-2022 को लागू कर दिया है।
इसके तहत युगल उपाधि और संयुक्त उपाधि कार्यक्रमों की पेशकश करने के लिए भारतीय और विदेशी उच्चतर शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग किया जा सकेगा। अब आम छात्र भी विदेशी विश्वविद्यालयों में मनपसंद डिग्री प्रोग्राम में पढ़ाई कर सकेंगे।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव प्रो. रजनीश जैन की ओर से बृहस्पतिवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई। भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान जिनके पास राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा जारी 3.01 स्कोर व राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रे मवर्क (एनआईआरएफ) की विश्वविद्यालय श्रेणी में शीर्ष 100 में शामिल या उत्कृष्ट संस्थान किसी भी विदेशी संस्थान के साथ सहयोग कर सकता है।
इसमें विदेशी विश्वविद्यालय के पास टाइम्स उच्च शिक्षा या क्यूएस विश्व रैंकिंग के शीर्ष 1000 में शामिल होना जरूरी होगा। जो विश्वविद्यालय इन नियमों को पूरा करते होंगे, उन्हें इन प्रोग्राम को शुरू करवाने के लिए यूजीसी से पूर्व मंजूरी नहीं लेनी होगी।
सिर्फ 30 फीसदी कोर्स की पढ़ाई करने से मिलेगी विदेशी डिग्री
पहले विदेशी विश्वविद्यालय की डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई करने के लिए छात्र को पूरी पढ़ाई विदेश में जाकर करनी पड़ती थी। यूजीसी के इस नए नियम में महज 30 फीसदी कोर्स करके विदेशी विश्वविद्यालय की डिग्री पाने का मौका मिलेगा।
ऑनलाइन, डिस्टेंस मोड से नहीं चलेंगे प्रोग्राम
यह प्रोग्राम ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम और डिस्टेंस मोड से चलने वाले डिग्री प्रोग्राम में लागू नहीं होगा। यह पूरी तरह से भौतिक कक्ष में चलने वाले कोर्स होंगे। इसमें छात्र को तीनों प्रोग्राम के आधार पर विदेशी विश्वविद्यालयों में जाकर पढ़ाई का मौका भी मिलेगा। इन प्रोग्राम में चिकित्सा, विधि और कृषि डिग्री प्रोग्राम शामिल नहीं किये जाएंगे।
ऐसा होगा डिजाइन
ट्विन प्रोग्राम: छात्र को कुछ कोर्स, एक, दो या तीन सेमेस्टर की पढ़ाई विदेशी विश्वविद्यालय में जाकर करनी होगी। यह एक तरह का स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम होगा। इसमें अधिक से अधिक 30 फीसदी कोर्स या क्रेडिट विदेशी विश्वविद्यालय से प्राप्त करने होंगे।
संयुक्त डिग्री: इसमें एक भारतीय और दूसरा विदेशी विश्वविद्यालय मिलकर डिग्री प्रोग्राम चलाएंगे। इसमें डिग्री भारतीय विश्वविद्यालय की होगी। उसमें दोनों विश्वविद्यालयों का नाम और लोगो होगा। इसमें कम से कम 30-30 फीसदी क्रेडिट दोनों विश्वविद्यालयों से प्राप्त करने अनिवार्य होंगे।
डयूल डिग्री: एक भारतीय और दूसरा विदेशी विश्वविद्यालय डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई करवाएंगे। दोनों विश्वविद्यालय अलग-अलग डिग्री जारी करेंगे। इसमें भी दोनों प्रोग्राम में 30 या उससे अधिक क्रेडिट स्कोर हासिल करने होंगे।

