(फोटो : मंगल)
न्यूयार्क। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के चार वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर एक साल बिताकर वापस लौट आए हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि मंगल ग्रह पर तो आज तक कोई व्यक्ति नहीं जा पाया है तो आखिर नासा ने अपने अंतरिक्षयात्री कब भेज दिए। दरअसल नासा मंगल पर इंसान भेजने के प्रयास में लगा है। इसीलिए वह पता लगाना चाहता था कि किसी इंसान को मंगल पर क्या मुश्किलें पेश आएंगी। इसीलिए 3डी प्रिंटर की मदद से मंगल ग्रह जैसे माहौल वाला एक बंद इलाका बनाया गया और इसमें चार लोगों को भेज दिया गया। 378 दिन यानी एक साल से ज्यादा वक्त गुजारने के बाद जब वे बाहर निकले तो नासा के लोगो ने तालियों के साथ उनका स्वागत किया। इस एक साल के दौरान किए गए अध्ययन में कई नई बातों का भी पता चला।
1700 वर्ग फीट का ‘मंगल ग्रह’
ह्युस्टन के स्पेस सेंटर में 1700 वर्ग फीट का एक स्पेशल घऱ बनाया गया था। इसमें एक मिशन स्पेशलिस्ट, दो अन्य प्रोफेशनल और एक मेडिकल ऑफिसर को भेजा गया। एक साल के दौरान उन लोगों ने उसी घर में सब्जियां उगाईं, खाना बनाया, एक्सरसाइज किया, यान के मेंटिनेंस का काम किया और कई वैज्ञानिक प्रयोग भी किए।
नासा यह प्रयोग करके पता लगाना चाहता था कि आखिर मंगल पर इंसान को किन शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस मिशन का नाम क्रू हेल्थ ऐंड पर्फॉर्मेंस एक्सप्लोरेशन एनालाग दिया गया था। इस दौरान वैज्ञानिकों को वैसे ही माहौल में रखा गया जैसा कि मंगल ग्रह पर होता है। पूरे एक साल वे किसी से मिल नहीं पाए। इसके अलावा उनके पास जिस सामग्री की व्यवस्था पहले कर दी गई थी वही उपलब्ध थी।
कई समस्याओं का करना पड़ा सामना
378 दिनों में वैज्ञानिकों को कई तरह की समस्याओं को सामना करना पड़ा। वहीं उन्होंने मार्सवॉक भी किया। सीमित संसाधनों में जीवन जीने के साथ ही अगर उस आर्टिफिशियल प्लैनेट में कोई चीज खराब हो जाती थी तो उसे खुद ही ठीक करना होता था। इसके अलावा टीम ने वहीं पर खेती भी की। इस दौरान अध्ययन किया गया कि लंबे समय तक पृथ्वी पर दूर रहने पर क्या प्रभाव पड़ेगा। वहीं अगर भविष्य में मंगल पर इंसान को भेजा जाता है तो हो सकता है इसी तरह से पहले उनकी ट्रेनिंग करवाई जाए ताकि मंगल के माहौल के लिए वे पहले से ही तैयार हो जाएं।
मार्स ड्यून अल्फा
जिस 3 डीआवास में इन वैज्ञानिकों को भेजा गया था उसका नाम मार्स ड्यून अल्फा रखा गया था। इसमें एक बेडरूम, एक जिम, एक छोटा सा खेत या क्यारी था। इसके अलावा लाल रेत से भरा एक क्षेत्र भी था जहां ये लोग सूट पहनकर मार्स वॉक करते थे। नासा का लक्ष्य 2030 तक इंसान को मंगल ग्रह पर भेजने का है।
000

