-भारतीय नौसेना के अलावा अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाएं भी होंगी शामिल
नई दिल्ली।हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में लगातार बढ़ती चीन की आक्रामकता के बीच इस वर्ष भारत महत्वपूर्ण ‘मालाबार-2024’ नौसैन्य युद्धाभ्यास की मेजबानी करेगा। इसमें भारतीय नौसेना के अलावा अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाएं भी भाग लेंगी। रक्षा सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2024 में भारत की अध्यक्षता में मालाबार युद्धाभ्यास बंगाल की खाड़ी में आयोजित किया जाएगा। यह मालाबार का 28वां संस्करण होगा। संभवत: अक्टूबर महीने में इसका आयोजन किया जाएगा। युद्धाभ्यास में चारों देशों की नौसेनाओं के बीच जटिल सतही-हवाई युद्ध विरोधी अभियान से लेकर समुद्री अवरोधन अभियान, पनडुब्बी रोधी युद्ध, गोताखोरी बचाव अभियान, समुद्री डकैती विरोधी अभियान, क्रॉस डैक हेलिकॉप्टर लैंडिंग के अलावा भागीदार नौसेनाएं परस्पर अंतर संचालनीयता, युद्ध कौशल और उससे जुड़ी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए शामिल होंगी। मालाबार अभ्यास को चतुष्कोणीय क्वाड समूह (अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया) की एक महत्वपूर्ण गतिविधि माना जाता है।
1992 में हुई थी शुरुआत
गौरतलब है कि मालाबार युद्धाभ्यास की शुरुआत वर्ष 1992 में भारत के मालाबार तट पर हुई थी। इसके साथ ही इसका नामकरण मालाबार के रूप में हो गया। उस वक्त यह भारत और अमेरिका के बीच किया जाने वाला एक द्विपक्षीय अभ्यास था। इसके करीब डेढ़ दशक बाद यानी 2007 में जापान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया मालाबार का हिस्सा बने। 2015 में जापान मालाबार युद्धाभ्यास का एक स्थायी भागीदार सदस्य बना। लेकिन चीन के दबाव में उसने मालाबार से अपने कदम कुछ पीछे खींच लिए थे। लेकिन वर्ष 2020 में जब ऑस्ट्रेलिया और चीन के संबंधों में तल्खी आई तो ऑस्ट्रेलिया पुन: मालाबार युद्धाभ्यास में शामिल हो गया और अब उसकी ये भागीदारी लगातार बनी हुई है।
चीन को लगेगी मिर्ची
जानकारों का कहना है कि चीन की विस्तारवादी नीति के तहत जारी आक्रामकता के बीच उसके पड़ोस में भारत के बंगाल की खाड़ी के इलाके में मालाबार युद्धाभ्यास के आयोजन से उसे मिर्ची लगना तय है। इसके पीछे की एक सबसे बड़ी वजह इस युद्धाभ्यास के भागीदार देश हैं। सभी के साथ चीन का किसी न किसी रूप में विवाद चल रहा है। भारत के साथ चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी विवाद में उलझा हुआ है। जापान के साथ उसका पूर्वी चीन सागर में विवाद जारी है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के साथ उसका विस्तारवादी नीति की वजह से तनाव जारी है। क्वाड समूह को चीन एशियाई नाटो की संज्ञा देता है और कहता है कि इसके जरिए अमेरिका एशिया महाद्वीप का सैन्यीकरण करने में लगा हुआ है। इससे क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा। ड्रैगन के इस कथन को हालांकि क्वाड देश पूरी तरह से खारिज करते हैं।
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