—सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने, लोकसभा अध्यक्ष पद पर आज होगा चुनाव
खास बातें
00 विपक्ष चाहता था लोकसभा उपाध्यक्ष पद, सत्तापक्ष राजी नहीं
00 बिरला जीते तो 25 साल में ऐसा पहली बार होगा
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लोकसभा अध्यक्ष पद को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने सामने आ गए हैं। 72 साल में तीसरी बार स्पीकर को लेकर चुनाव होने जा रहा है। मंगलवार को अध्यक्ष पद को लेकर सहमति नहीं बन पाई। एनडीए से भाजपा सांसद ओम बिरला और कांग्रेस के कोडिकुन्नील सुरेश ने पर्चा दाखिल कर दिया।
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नई दिल्ली
विपक्ष की मांग थी कि अध्यक्ष पद पद सर्वसम्मति चाहिए तो उसे लोकसभा उपाध्यक्ष का पद दिया जाए पर इस पर सत्तापक्ष राजी नहीं हुआ। आज बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए बिरला और सुरेश के बीच चुनाव होगा। बिरला ने नामांकन दाखिल करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। वह राजस्थान के कोटा से लगातार तीसरी बार भाजपा के टिकट पर सदस्य निर्वाचित हुए हैं। पिछली लोकसभा में भी अध्यक्ष रह चुके बिरला को एनडीए की तरफ से सर्वसम्मति से उम्मीदवार बनाया गया है। यदि वह बुधवार को हुए मतदान में जीत जाते हैं तो 25 साल में इस पद पर दोबारा आसीन होने वाले पहले व्यक्ति होंगे। जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि बिरला का नाम एनडीए के सभी दलों ने सर्वसम्मति से तय किया और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह भी समर्थन हासिल करने के लिए विपक्ष के पास पहुंचे लेकिन बात बनी नहीं। कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल और द्रमुक नेता टी आर बालू लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए राजग उम्मीदवार का समर्थन करने से इनकार करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय से बाहर आ गए। वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने की प्रतिबद्धता नहीं जताई। इससे पहले, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिए जाने की परंपरा रही है और यदि मोदी सरकार इस परंपरा का पालन करती है तो पूरा विपक्ष सदन के अध्यक्ष के चुनाव में सरकार का समर्थन करेगा। उन्होंने संसद भवन परिसर में संवाददाताताओं से बातचीत में यह भी कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समर्थन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को फोन किया था और फिर से फोन करने की बात की थी, लेकिन अब तक उनका फोन नहीं आया।
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ललन और पीयूष ने विपक्ष पर साधा निशाना
विपक्ष पर निशाना साधते हुए ललन सिंह ने कहा कि विपक्ष लोकसभा उपाध्यक्ष के पद पर तुरंत फैसला चाहता हैं, जबकि राजनाथ सिंह ने अनुरोध किया था कि चयन का समय आने पर सभी को एक साथ बैठना चाहिए और इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार के नाम पर सर्व सम्मति होती तो बेहतर होता। उन्होंने इस संबंध में शर्तें रखने के लिए विपक्ष की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को शर्तों पर नहीं चलाया जा सकता।
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राहुल ने जताई नाराजगी
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री विपक्ष से रचनात्मक सहयोग की उम्मीद करते हैं, लेकिन कांग्रेस के नेता का अपमान किया जा रहा है। राहुल ने संसद भवन परिसर में मीडिया से बात करते हुए यह कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समर्थन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन किया था और फिर से फोन करने की बात की थी, लेकिन अब तक उनका फोन नहीं आया।
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बात हारने जीतने की नहीं, परंपरा की : सुरेश
केरल से आठवीं बार लोकसभा पहुंचे सुरेश ने कहा कि यह हारने या जीतने का विषय नहीं है, बल्कि बात इस परंपरा की है कि लोकसभा अध्यक्ष सत्तारूढ़ दल का होगा और उपाध्यक्ष विपक्ष का रहेगा। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि पिछली दो लोकसभाओं में उन्होंने उपाध्यक्ष पद हमें नहीं दिया और कहा कि आपको विपक्ष के रूप में मान्यता नहीं मिली है। अब हमें विपक्ष के रूप में मान्यता मिली है तो उपाध्यक्ष पद पर हमारा अधिकार है। लेकिन वे हमें इस पद को देने को तैयार नहीं हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री के सहमति से काम करने के आह्वान के मात्र 24 घंटे के अंदर सरकार का यह रुख देखने को मिला है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर परंपराओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
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इधर, परामर्श नहीं करने से टीएमसी खफा
तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि लोकसभा के लिए इंडिया ब्लॉक स्पीकर उम्मीदवार के सुरेश को मैदान में उतारने पर पार्टी से सलाह नहीं ली गई। सूत्रों ने कहा कि यह बयान दिए जाने से पहले कोई इंडिया गठबंधन में परामर्श नहीं हुआ है और न ही कोई सामूहिक निर्णय लिया गया है। इसलिए के सुरेश के नामांकन पर तीन बड़े दल तो साइन कर चुके हैं, लेकिन अब तक टीएमसी ने साइन नहीं किए हैं।
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कब-कब हुए स्पीकर के लिए चुनाव
इससे पहले 1952, 1974 में भी स्पीकर को लेकर चुनाव हुआ है। स्वतंत्र भारत में 1952 में पहली बार स्पीकर को लेकर जीवी मालवणकर और शंकर शांताराम के बीच चुनावी मुकाबला हुआ था। उसके बाद 1976 में (आपातकाल के दौरान) भी स्पीकर के लिए चुनाव हुआ था। उस समय बालीग्राम भगत बनाम जगन्नाथ राव के बीच चुनाव था। अब 2024 में तीसरी बार चुनाव होने जा रहा है। अब तक पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति से स्पीकर बनता आया है।
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