शराब पर अपने फैसले को लेकर हाईकोर्ट पहुंची राज्य सरकार

दायर किया कैविएट

-किसी भी दायर याचिका पर पहले राज्य सरकार का पक्ष सुना जाएगा

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में शराब खरीदी को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले से सिंडीकेट को बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में मामला दायर हो सकता है और रोक की मांग भी हो सकती है। इस संभावना को देखते हुए राज्य सरकार पहले ही कोर्ट पहुंच गई। राज्य शासन ने महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी के माध्यम से हाईकोर्ट में केविएट दायर कर दिया है। इसमें कहा गया है कि किसी भी दायर याचिका पर पहले राज्य सरकार का पक्ष सुना जाए इसके बाद ही कोई फैसला दिया जाए।

शराब सिंडीकेट के खात्मे को लेकर राज्य सरकार ने बुधवार 19 जून को कैबिनेट की बैठक में शराब खरीदी की व्यवस्था में बदलाव का फैसला किया। इस निर्णय के बाद आबकारी विभाग की तरफ से आदेश जारी हो गया है। आबकारी विभाग से आदेश जारी होने के साथ ही राज्य सरकार इस मामले को लेकर हाई कोर्ट भी पहुंच गई है। सरकार को इस बात का अंदेशा है कि व्यवस्था में बदलाव से शराब सिंडीकेट पर असर पड़ेगा और वे इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जा सकते हैं।

छत्तीसगढ़ ब्रेवरेज कार्पोरेशन खरीदेगा विदेशी मदिरा

ज्ञात हो कि कैबिनेट ने विदेशी मदिरा के थोक विक्रय और भंडारण के लिए वर्तमान में प्रचलित एफएल 10 ए बी अनुज्ञप्ति की व्यवस्था को समाप्त करने का फैसला किया है। इस नियम में विदेशी शराब की खरीदी का अधिकार लाइसेंसियों के पास था। कैबिनेट ने इस में बदलाव करते हुए सीधे विनिर्माता इकाइयों से विदेशी मदिरा का थोक क्रय किए जाने का अनुमोदन किया है। इससे विदेशी मदिरा क्रय करने की जिम्मेदारी अब छत्तीसगढ़ ब्रेवरेज कार्पोरेशन को मिल गई है।

पहले कुछ खास फर्मों को मिला था जिम्मा

ध्यान रहे कि इससे पहले आबकारी नीति में संशोधन कर एफएल-10 लाइसेंस का नियम बना दिया गया था। इससे कुछ खास फर्मों को आपूर्ति का जिम्मा मिल गया था। इससे राज्य में जहां अवैध व नकली शराब की बिक्री धड़ल्ले से होने लगी थी तो वहीं नकली होलो ग्राम चिपकाकर बोतलों की स्कैनिंग किए बिना घटिया शराब बेचने का मामला भी आया था। इससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ।

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