08.55 बजे हुआ ट्रेन हादसा
रेलवे ने कहा- गुड्स ट्रेन के ड्राइवर ने सिग्नल की अनदेखी की
13174 नंबर की मालगाड़ी ने मारी टक्कर
02 बोगियां पटरी से उतरीं
01 बोगी मालगाड़ी के इंजन में चढ़ी
15 लोगों की मौत
50 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल
120 से ज्यादा मध्यव व सामान्य घायल
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मौके पर मौजूद
रेस्क्यू में क्षेत्रीय व केंद्रीय एजेंसियां जुटीं
10-10 लाख मृतकों के परिजनों को
02-02 लाख मृतकों को पीएमओ की ओर से
2.50-2.50 लाख गंभीर घायलों को
50-50 हजार सामान्य घायलों को
50-50 हजार घायलों को पीएमओ से
एनडीआरएफ के अलावा स्थानीय टीमें भी युद्धस्तर पर लगी हैं
कंचनजंगा एक्स. अगरतला से सियालदेह तक चलती है
हादसा जलपाईगुड़ी स्टेशन कटिहार रेल मंडल के तहत
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में सोमवार सुबह 8:55 बजे एक मालगाड़ी ट्रेन ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी। यह टक्कर इतनी भीषण थी कि कंचनजंगा एक्सप्रेस का एक डिब्बा मालगाड़ी के इंजन में चढ़ गया और पांच डिब्बे पटरी से उतर गए। इस हादसे में दो लोको पायलट व एक गार्ड सहित 15 लोगों की मौत और 60 से अधिक लोग गंभीर व सामान्य रूप से भी कई घायल हुए हैं। प्रथम दृष्टया रेलवे द्वारा इस घटना में मालगाड़ी के चालक द्वारा सिग्नल की अनदेखी करना माना जा रहा है जिसकी जांच की जा रही है। सूचना मिलते ही केंद्रीय रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव घटनास्थल पर पहुंचे और राहत कार्य का जायजा लिया। रेल मंत्रालय व पीएम मोदी ने दुर्घटना पर दुख व्यक्त करते हुए मृतकों व घायलों के परिजनों को मुआवजे की घोषणा की।
रेलवे बोर्ड की चेयरमैन और सीईओ जय वर्मा तथा ईस्टर्न रेलवे के सीपीआरओ कौशिक मित्रा ने नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के हवाले से बताया कि ट्रेन के 5 डिब्बे क्षतिग्रस्त हुए हैं। इस हादसे में गार्ड का डिब्बा, जनरल डिब्बा क्षतिग्रस्त हुआ है। कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन के आखिरी में दो पार्सल और एक एएलआर कोच लगे हुए थे। इसमें कोई पैसेंजर नहीं था। दोपहर 12:40 बजे एक स्पेशल ट्रेन सियालदह के लिए रवाना हो चुकी है। ट्रेन में अधिकतर यात्री मालदा और बोलपुर के हैं। सिंगल लाइन पर ट्रेन सेवा शुरू कर दी गई है।
कंचनजंगा एक्सप्रेस डेली ट्रेन है। यह बंगाल को पूर्वोत्तर के शहरों सिलचर और अगरतला से जोड़ती है। यह मार्ग चिकन नेक कॉरिडोर में है, जो पूर्वोत्तर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। एक्सीडेंट की वजह से कई ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। कंचनजंगा एक्सप्रेस का इस्तेमाल अक्सर पर्यटक दार्जिलिंग की यात्रा के लिए करते हैं।
हादसे से 3 घंटे पहले से सिग्नल खराब था
रेलवे के एक सूत्र ने बताया कि पश्चिम बंगाल में रानीपात्रा रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट जंक्शन के बीच ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम सुबह 5.50 बजे से ही खराब था। कंचनजंगा एक्सप्रेस सुबह 8:27 बजे रंगापानी स्टेशन से रवाना हुई और सुबह 5:50 बजे सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी के कारण रानीपात्रा रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट के बीच रुकी रही।
खराब सिग्नल होने की स्थिति में ये हैं नियम
एक रेलवे अधिकारी के अनुसार, जब ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी आ जाती है, तो स्टेशन मास्टर टीए-912 नाम से एक लिखित नोट जारी करता है, जो लोको पायलट को सिग्नलिंग सिस्टम काम नहीं करने की स्थिति में सभी रेड सिग्नल क्रॉस करने के लिए अधिकृत करता है। ड्राइवर को प्रत्येक खराब सिग्नल पर ट्रेन को एक मिनट के लिए रोकना होता है और 10 किमी प्रति घंटे की गति से ही आगे बढ़ाना होता है।
हादसे वाले रूट पर कवच सिस्टम नहीं
रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि हादसे वाले रूट पर कवच सिस्टम नहीं था। इस पर जल्द ही काम शुरू किया जाएगा। रेलवे ने अब तक 1500 किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर कवच सिस्टम एक्टिव है। इस साल के आखिरी तक इसे 3 हजार किलोमीटर तक ले जाया जाएगा।
टीए 912 जारी हुआ या नहीं जांच शुरू
ज्ञात हो कि जब सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी आती है तो स्टेशन मास्टर टीए 912 रिटन अथॉरिटी जारी करता है। यह ड्राइवर को खराबी के कारण सभी रेड सिग्नल पार करने का अधिकार देता है। रानीपात्रा के स्टेशन मास्टर ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को टीए 912 जारी किया था। ट्रेन 10 मिनट से यहां रुकी रही। इसकी जांच की जा रही है कि मालगाड़ी को खराब सिग्नल की जानकारी दी गई थी या नहीं।
हादसे में हताहतों को मुआवजे की घोषणा
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटना में जान गंवाने वाले लोगों को 10 लाख रुपए, गंभीर घायलों को 2.50 लाख रुपए और मामूली घायलों को 50 हजार रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है। इसके अलावा हादसे में मारे गए लोगों को प्रधानमंत्री राहत कोष से 2-2 लाख रुपए और घायलों को 50 हजार रुपए मदद का ऐलान किया गया है।
लोको पायलट संगठन ने उठाया सवाल
लोको पायलट संगठन ने रेलवे के इस बयान पर सवाल उठाया है कि ड्राइवर ने रेड सिग्नल का उल्लंघन किया, इस वजह से हादसा हुआ। इंडियन रेलवे लोको रनिंगमेन ऑर्गनाइजेशन के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा, ‘हादसे में लोको पायलट की मौत हो चुकी है और अभी सीआरएस जांच लंबित है। जांच पूरी होने से पहले ही लोको पायलट को हादसे के लिए जिम्मेदार घोषित करना बेहद आपत्तिजनक है।
कैसे काम करता है ‘कवच’ सिस्टम?
अगर लोको पायलट भूलवश या किसी तकनीकी खराबी के कारण रेड सिग्नल क्रॉस करता है तो इस स्थिति को खतरे में सिग्नल पास किया गया माना जाता है। ऐसे में पटरियों, सिग्नल और स्टेशन यार्ड में लगाया गया रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन सिस्टम सक्रिय हो जाता है और ट्रेन के ब्रेक अपने आप लगने शुरू हो जाते हैं। इससे ट्रेन की रफ्तार बहुत कम हो जाती है और आपस में टकराने जैसे बड़े हादसे टल जाते हैं।
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