कुवैत अग्निकांड: वायुसेना के विमान से भारत लाए गए 45 शव, हवाई अड्डे पर छाया मातम

मृतकों में इंजीनियर-ड्राइवर, छात्र, मजदूर सभी शामिल

नई दिल्ली। कुवैत के मंगाफ में एक इमारत में लगी भीषण आग में 45 भारतीयों समेत 49 लोगों की मौत हो गई है। कुवैत से मृतकों के शवों को लेकर भारतीय वायुसेना का विशेष विमान भारत पहुंचा। इसमें विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह भी साथ आए हैं। वे घायलों का हालचाल जानने और शवों की शीघ्र वापसी के लिए बीते दिन ही कुवैत गए थे। ये विमान केरल के कोच्चि में सुबह करीब 11 बजे उतरा, क्योंकि मृतकों में ज्यादातर केरल के हैं। इसके बाद बाकी शवों को लेकर विमान दिल्ली जाएगा। कोच्चि विमानतल पर विमान के उतरते ही मृतकों के परिजनों का विलाप करना शुरू हो गया जिस कारण पूरा माहौल मातम में डूबा रहा।

कुवैत हादसे में मरने वालों में इंजीनियर, अकउंटेंट और ड्राइवर समेत कई ऐसे लोग हैं, जो सालों से कुवैत में काम कर रहे थे। मृतकों में सबसे ज्यादा 23 केरल के, 7 तमिलनाडु के, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के 2-2 और बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के एक-एक लोग शामिल हैं।

सीएम सहित अन्य मंत्री रहे मौजूद

कोच्चि हवाई अड्डे पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, केंद्रीय राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह और सुरेश गोपी, राज्य मंत्री के राजन, पी राजीव, वीना जॉर्ज, कदन्नापल्ली रामचंद्रन और रोशी ऑगस्टीन, विपक्ष के नेता वी डी सतीशन, कई अन्य विधायकों और सांसदों सहित कई नेता दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मौजूद थे। मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं ने सभी शवों पर पुष्पांजलि अर्पित की। केरल पुलिस ने दिवंगत लोगों को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया।

मृतकों की उम्र 20 से 50 साल के बीच

कुवैत ने मृतकों की सूची जारी की है। इसमें 45 भारतीयों के नाम हैं। 23 साल के आकाश एस नायर पंडालम से थे और वह पिछले 6 सालों से कुवैत में रहते थे। एक अन्य मृतक श्रीहरि प्रदीप चंगनास्सेरी के रहने वाले मैकेनिकल इंजीनियर थे। उनके पिता भी कुवैत में काम करते हैं। लुकोस नामक एक अन्य शख्स पिछले 18 सालों से कुवैत में काम कर रहे थे। उनके 2 बच्चे हैं।

मृतकों में हर पेशे के लोग शामिल

अमरुद्दीन शमीर: वह कोल्लम पोयापल्ली से थे और कुवैत में ड्राइवर थे। स्टेफिन अब्राहम सबू: पेशे से इंजीनियर थे और कोट्टायम के रहने वाले थे। केआर रंजीत: कुवैत में 10 सालों से रह रहे थे और स्टोर कीपर थे। केलू पोनमलेरी: प्रोडक्शन इंजीनियर थे। अपने पीछे 2 बेटे छोड़ गए हैं। पीवी मुरलीधरण: कुवैत में पिछले 30 सालों से रह रहे थे। एक कंपनी में सीनियर सुपरवाइजर थे। साजन जॉर्ज: केमिकल इंजीनियर थे।

इमारत में रखे थे सिलेंडर

हादसे की शुरुआती जांच में कई बड़ी खामियों निकलकर आई हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 7 मंजिला इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर 2 दर्जन गैस सिलेंडर, कागज, कार्डबोर्ड और प्लास्टिक जैसा सामान रखा हुआ था, जिससे आग तेजी से फैल गई। छत पर भी ताला लगा हुआ था, जिससे लोगों को भागने की कोई जगह नहीं मिली। इमारत में क्षमता से कई गुना ज्यादा लोग रह रहे थे।

शॉर्ट सर्किट से लगी आग

अभी तक आधिकारिक तौर पर आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन कहा जा रहा है कि ग्राउंड फ्लोर पर शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी और धीरे-धीरे पूरी इमारत में फैल गई। इस इमारत को एनबीटीजी समूह ने किराए पर लिया था, जहां कंपनी से जुड़े करीब 196 लोग रहते थे। मृतकों में भारतीयों के अलावा पाकिस्तान, नेपाल और मिस्र के भी कुछ लोग हैं।

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