भारतीय फिल्मकारों के लिए शानदार रहा यह साल
कान। भारत के लिए इस साल का कान फिल्म महोत्सव शानदार रहा और पायल कपाड़िया की ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट, एफटीआईआई के छात्र चिदानंद एस. नाइक की सनफ्लावर वेयर द फर्स्ट वन्स टू नो, और द शेमलेस की अनसूया सेनगुप्ता को अलग-अलग श्रेणी में प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 77वां संस्करण निस्संदेह देश के लिए सबसे अच्छा रहा। इस दौरान आठ भारतीय या भारत पर आधारित फिल्मों को पुरस्कार प्रतिस्पर्धाओं में जगह मिली। भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) की पूर्व छात्रा कपाड़िया ने ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट के लिए ग्रां प्री पुरस्कार जीतने वाली पहले भारतीय फिल्म निर्माता बनकर इतिहास रच दिया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, हमारी फिल्म को यहां तक लाने के लिए कान फिल्म महोत्सव का शुक्रिया। एक और भारतीय फिल्म के लिए कृपया 30 साल तक इंतजार न करें। फिल्म को पाम डि’ओर के बाद महोत्सव के दूसरे सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ग्रां प्री से सम्मानित किया गया है। अमेरिकी निर्देशक सीन बेकर को ‘अनोरा’ के लिए सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार पाम डि’ओर से सम्मानित किया गया। कनी कुसरुति, दिव्या प्रभा और छाया कदम अभिनीत मलयाली-हिंदी फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट मुंबई में सड़क यात्रा पर निकलीं तीन महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमती है।
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कपाड़िया ने तोड़ा रिकॉर्ड
पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट 30 वर्षों में मुख्य प्रतियोगिता में दिखाई गई पहली भारतीय फिल्म और किसी भारतीय महिला निर्देशक की पहली फिल्म है। इससे पहले आखिरी बार शाजी एन करुण की फिल्म स्वाहम (1994) प्रदर्शित की गई थी। 77वें कांस फिल्म फेस्टिवल के आखिरी दिन शानदार अवॉर्ड फंक्शन हुआ, जहां भारतीय फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ ने इतिहास रच दिया।
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सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री अनसूया
बुल्गारियन निर्देशक कॉन्स्टेंटिन बोजानोव की द शेमलेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रोडक्शन डिजाइनर अनसूया सेनगुप्ता ‘अन सर्टेन रिगार्ड’ श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। द शेमलेस शोषण और उत्पीड़न की एक अंधेरी दुनिया बयां करती है जिसमें दो यौनकर्मी एक बंधन में बंधती हैं। सेनगुप्ता ने यह पुरस्कार “क्वीर और अन्य कमजोर समुदायों” को समर्पित किया।
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एफटीआईआई के छात्र चिदानंद
एफटीआईआई के छात्र चिदानंद एस. नाइक की सनफ्लावर वेयर द फर्स्ट वन्स टू नो को ला सिनेफ (फिल्म स्कूल फिक्शन या एनिमेटेड फिल्में) श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला। कन्नड़ लोककथा पर आधारित यह फिल्म एक बूढ़ी औरत पर आधारित है, जो मुर्गा चुरा लेती है जिसके बाद गांव में सूरज उगना बंद हो जाता है। इससे पहले, कान महोत्सव के लिए चुनी गईं भारतीय फिल्मों में मृणाल सेन की खारिज (1983), एम एस सथ्यू की गर्म हवा (1974), सत्यजीत रे की पारस पत्थर\” (1958), राज कपूर की आवारा (1953) वी शांताराम की अमर भूपाली (1952) और चेतन आनंद की नीचा नगर (1946) शामिल हैं।
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पीएम बोले- देश को कपाड़िया पर गर्व
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि देश को निर्देशक पायल कपाड़िया पर गर्व है, जो अपनी फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ के लिए 2024 के कान फिल्म महोत्सव में ‘ग्रैंड प्रिक्स’ पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म निर्माता बन गई हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, अपने काम ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ के लिए 77वें कान फिल्म समारोह में ‘ग्रैंड प्रिक्स’ जीतने की ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए पायल कपाड़िया पर भारत को गर्व है।
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राहुल ने विजेताओं को दी बधाई
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस साल के कान फिल्म महोत्सव की भारतीय विजेताओं फिल्मकार पायल कपाड़िया और अभिनेत्री अनसूया सेनगुप्ता को रविवार को बधाई दी। कांग्रेस नेता ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 77वें कान फिल्म महोत्सव में भारतीय सितारें चमक रहे हैं! प्रतिष्ठित ग्रैंड प्रिक्स पुरस्कार जीतने के लिए पायल कपाड़िया और ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’ की पूरी टीम को बधाई।
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