मतदान के आंकड़े 48 घंटे के भीतर जारी हों, आयोग ने कहा- ‘एक रात में डेटा इकट्ठा नहीं हो सकता’

एडीआर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा चुनाव आयोग से जवाब, अगली सुनवाई 24 को

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा चुनाव आयोग को मतदान के आंकड़े 48 घंटे के भीतर जारी करने का निर्देश देने संबंधी याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के प्रत्येक चरण के मतदान के 48 घंटे के भीतर अपनी वेबसाइट पर मतदान केंद्र-वार मतदान प्रतिशत डेटा अपलोड करने का निर्देश देने की मांग पर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग के वकील को तलब किया। वहीं इस मामले में चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि ‘एक रात में डेटा इकट्ठा नहीं हो सकता। इसकी प्रोसेसिंग के लिए वक्त लगता है। इस मामले में 24 मई को अगली सुनवाई होगी।

बता देंकि इस मुद्दे पर गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की याचिका पर सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ शाम 6:30 बजे एकत्र हुई। सीजेआई ने कहा कि चुनाव आयोग को याचिका पर जवाब देने के लिए कुछ उचित समय दिया जाना चाहिए। इसे सात चरण के लोकसभा चुनाव के छठे चरण से एक दिन पहले 24 मई को ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान उचित पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।

राजनीतिक दलों ने उठाए थे सवाल

दरअसल, लोकसभा चुनाव को लेकर सात चरण में से चार चरण हो चुके हैं वहीं कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि मतदान के आंकड़े देर से जारी हो रहे हैं। ऐसे में मन में शक पैदा होता है। वहीं बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा था पहले आंकड़े समय पर जारी कर दिए जाते थे, मगर अभी जिस तरह से देरी हो रही है, उससे कहीं ना कहीं गंभीर सवाल पैदा होते हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी चुनाव आयोग पर कई सवाल उठाए थे।

कोर्ट के सामने दोनों पक्षों ने रखी अपनी दलील

याचिका कर्ता के वकील ने ये कहा

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि निर्वाचन आयोग को बस इतना करना है कि पुलिस अधिकारी से फॉर्म-17 के आंकड़े प्राप्त करें और वेबसाइट पर डाल दें। हर मतदान अधिकारी शाम तक फॉर्म-17 सबमिट करता है, शाम 6 से 7 बजे तक मतदान पूरा होने के बाद रिटर्निंग अधिकारी के पास पूरे निर्वाचन क्षेत्र का डेटा होता है। इसके बाद भी आप इसे अपलोड क्यों नहीं करते हैं। इसके बाद सीजेआई ने चुनाव आयोग के वकील से पूछा कि आपको ऐसा करने में क्या परेशानी है?

ईसीआई ने कहा- एक रात में डेटा इकट्ठा नहीं हो सकता

चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि एक रात में डेटा इकट्ठा नहीं हो सकता है। यह एक सेट पैटर्न है। चुनाव की घोषणाओं से पहले पहले मतदाता सूची, फिर ईवीएम पर सवाल उठाया गया। अब ऐसे सवाल उठाने पर नए मतदाताओं पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है और मतदाता संख्या में कमी आती है।

मतदान का आंकड़ा बढ़ गया : याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि पहले दूसरे चरण में डेटा 7 दिन से ज्यादार देरी से सार्वजनिक किया गया। अचानक वोटर टर्नआउट बढ़ गया। इससे पहले दिन में वकील प्रशांत भूषण ने एनजीओ की ओर से मामले का उल्लेख किया और याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की थी।

क्या कहा गया है याचिका में

ज्ञात हो कि पिछले हफ्ते, एनजीओ ने अपनी 2019 जनहित याचिका में एक अंतरिम आवेदन दायर किया था, जिसमें चुनाव पैनल को निर्देश देने की मांग की गई थी कि सभी मतदान केंद्रों के “फॉर्म 17 सी भाग- I (रिकॉर्ड किए गए वोटों का खाता) की स्कैन की गई सुपाठ्य प्रतियां” मतदान के तुरंत बाद अपलोड की जाएं।

कितनी प्रतिशत वोटिंग हुई?

चुनाव आयोग ने गुरुवार (16 मई) को बताया कि लोकसभा चुनाव के पहले चार चरणों में कुल मतदान 66.95 प्रतिशत दर्ज किया गया आयोग ने कहा कि करीब 97 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से 45.1 करोड़ लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है।

चुनाव आयोग से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

इससे पहले सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह पेश हुए।वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि इस अदालत द्वारा 26 अप्रैल, 2024 को दिए गए फैसले में नियम 49 और फॉर्म 17सी सहित विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया गया है, जिस पर आवेदकों द्वारा भरोसा किया गया है। इसके अलावा आयोग के वकील सिंह ने कहा कि चुनाव के 4 चरण हो चुके हैं और चूंकि याचिका वर्षों से अदालत के समक्ष लंबित है, इसलिए ईसीआई को जवाब देने का अवसर दिया जाना चाहिए।

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