-संसद ने कानून बनाकर एलजीबीटीक्यू को घोषित किया अपराध
बगदाद। इराक ने समलैंगिक संबंधों को अपराध घोषित करने वाला कानून पास किया है। इराक की संसद ने शनिवार को इस कानून को मंजूरी दी है, जिसका उद्येश्य देश में धार्मिक मूल्यों को बनाए रखना है। कानून के अनुसार, समलैंगिक सबंधों के लिए दोषी पाए जाने पर जोड़ों को अधिकतम 15 साल तक सजा हो सकती है। एलजीबीटीक्यू समुदाय के खिलाफ लाए गए इस कानून की अधिकार समूह कार्यकर्ताओं ने निंदा की है और इसे लोगों के खिलाफ उत्पीड़न का एक हथियार बताया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, संसद से पास कानून की प्रति में कहा गया है, इसका उद्देश्य “इराकी समाज को नैतिक पतन और दुनियाभर में फैल रही समलैंगिकता की चपेट से बचाना है।”
इस कानून को मुख्य रूप से रूढ़िवादी शिया मुस्लिम पार्टियों का समर्थन प्राप्त था। मुस्लिम बहुल इराक की संसद में शिया पार्टियों का गठबंधन सबसे बड़ा है। नया कानून 1988 के वैश्यावृत्ति विरोधी कानून का संशोधन है, जिसमें समलैंगिकता को भी शामिल कर लिया गया है। वैश्यावृत्ति और समलैंगिकता विरोधी कानून के तहत सेम सेक्स संबंधों पर कम से कम 10 साल और अधिकतम 15 साल की जेल का प्रावधान किया गया है। इसके तहत समलैंगिकता या वैश्यावृत्ति को बढ़ावा देने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए कम से कम सात साल की जेल का आदेश दिया गया है।
लिंग परिवर्तिन पर भी जेल
कानून में उन लोगों के लिए भी सजा का नियम है जो अपनी इच्छा से लिंग परिवर्तन कराते हैं। ऐसे मामले में सर्जरी कराने वाले ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और डॉक्टरों को तीन साल तक की जेल हो सकती है। हालांकि, नए कानून में ऐसे मामलों को राहत दी गई है जिसमें व्यक्ति के जन्मजात लैंगिक दोषों का इलाज करने के लिए चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता है। इसके साथ ही कानून में जानबूझकर महिलाओं जैसे कपड़े पहनने और तैयार होने पर भी तीन साल की सजा का प्रावधान है।
विधेयक में किया गया था मौत का प्रावधान
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में विधेयक में समलैंगिक संबंधों के लिए मौत की सजा का नियम डाला गया था लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों के कड़े विरोध के बाद पारित होने से पहले इसमें संशोधन किया गया था। शनिवार से पहले तक इराक में समलैंगिक संबंदों को अपराध घोषित करने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं था। हालांकि, पहले के कानूनों में नैतिकता के हिस्से का इस्तेमाल एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों को निशाना बनाने के लिए किया जाता था।
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