-जेल में रुतबे की चार कहानियां
-अफसरों संग खेलता था बैडमिंटन… ऐसा था जलवा
पूर्व विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी अब इस दुनिया में नहीं है। गुरुवार को यूपी की बांदा जेल में बंद मुख्तार की तबीयत बिगड़ जाने के बाद उसे बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान कथित रूप से हार्ट अटैक हो जाने से उनकी मौत हो गई। काफी समय से जेल में बंद मुख्तार का कभी जेल में काफी दबदबा रहा करता था। आइए, जानते हैं उसके जेल में रुतबे की चार कहानियां…
मछलियां खाने के लिए खुदवा दिया था तालाब
यूपी की जेलों में मुख्तार के रुआब का एक नमूना गाजीपुर जेल का किस्सा है। 2005 में मऊ में हिंसा भड़कने के बाद मुख्तार अंसारी ने सरेंडर किया था। उसे गाजीपुर जेल में रखा गया। मुख्तार तब विधायक था। मुख्तार की जेल में होने वाली अदालत में पूर्वांचल से लेकर बिहार तक के रेलवे, स्क्रैप, काेयला, रेशम आदि के ठेके-पट्टों का फैसला होता था। मोबाइल का इस्तेमाल करना कोई हैरानी की बात नहीं थी। उसने पूर्वांचल के कई जिलों में गैरकानूनी तरीके से आंध्र प्रदेश से मछली मंगवा कर बेचने का बड़ा कारोबार भी स्थापित कर लिया था। गाजीपुर में सरकारी जमीन पर कब्जा करके वेयरहाउस और होटल बनवाए थे। सपा सरकार में तो वह लंबे वक्त तक केजीएमयू में इलाज कराने के बहाने लखनऊ में टिका रहा। कहा जाता है कि उसने ताजी मछलियां खाने के लिए जेल में ही तालाब खुदवा दिया था। राज्यसभा सांसद और पूर्व डीजीपी बृजलाल ने भी इस बात को माना था।
बांदा जेल आया तो डेढ़ साल खाली रही जेलर की कुर्सी
मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से अप्रैल 2021 में यूपी की बांदा जेल शिफ्ट किया गया। इसका असर ये हुआ कि कोई भी जेलर इस जेल का चार्ज लेने के लिए ही तैयार नहीं हुआ। बाद में दो जेल अधिकारियों विजय विक्रम सिंह और एके सिंह को भेजा गया। जून 2021 में बांदा जिला प्रशासन ने जेल पर छापा मारा। उस दौरान कई जेल कर्मचारी मुख्तार की सेवा में लगे मिले। तत्कालीन डीएम अनुराग पटेल और एसपी अभिनंदन की जॉइंट रिपोर्ट पर डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप सिंह और 4 बंदी रक्षक सस्पेंड कर दिए गए थे।
बैरक से बाहर आने पर बंद हो जाते थे सीसी कैमरे
मुख्तार दो साल से बांदा जेल में बंद था। मार्च, 2023 के आखिरी हफ्ते में इस जेल से एक कैदी छूटकर बाहर आया था। नाम न बताने की शर्त पर उसने बताया कि मुख्तार को स्पेशल हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया था। उसकी बैरक दूसरे कैदियों से अलग थी। ये बैरक जेल के बीच वाले गेट के पास ही बनी है। गेट के पास ही वह हर रोज घंटे-दो घंटे कुर्सी ‘डालकर बैठता था। वहीं जेल अधिकारियों और दूसरे कैदियों से मिलता था। मुख्तार जब तक वहां बैठता था, कोई उस गेट से आ-जा नहीं सकता था। मुझे जब जेल से छूटना था, तब भी मुख्तार उसी गेट पर बैठा था। इस वजह से मेरी रिहाई करीब दो घंटे लेट हुई। मुख्तार जितनी देर अपनी बैरक से बाहर रहता था, तब तक जेल के उस हिस्से के कैमरे बंद रहते थे, ताकि वह किससे मिल रहा है, यह किसी को पता न चले।
मुख्तार की बैरक में मिले थे दशहरी आम, बाहर का खाना
जून, 2022 में बांदा जेल में डीएम ने छापा मारा था। सूत्र बताते हैं कि तब मुख्तार की बैरक में दुशहरी आम के साथ-साथ होटल का खाना मिला था। मुख्तार का रुतबा इतना था कि वह जो सुविधा चाहता, “वह उसे बैरक में ही मिल जाती थी। बताया जाता है कि मुख्तार जब ट्रांसफर होकर बांदा जेल आया, तो उसके गुर्गे जेल के आसपास किराए पर कमरा लेकर रहने लगे थे। मुख्तार के बड़े भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी ने बांदा जेल में मुख्तार की हत्या का अंदेशा जताया था।
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