होली के दूल्हे की बारात, सारा गांव बनता है बाराती

यूपी के एक गांव में बारात निकालने की अनूठी परंपरा

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के एक गांव में होली के दूल्हे की बारात निकालने की परंपरा सैकड़ों सालों से कायम है। बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में जरिया गांव में होली के दूल्हे की बारात निकालने की परम्परा सैकड़ों सालों से चली आ रही है। गांव में एक शख्स को घोड़े पर बैठाकर उसकी बारात की पहले निकासी होती है फिर पूरे गांव में बारात धूमधाम से निकाली जाती है। पूरे गांव के लोग बाराती भी बनते है।

गांव के पूर्व प्रधान रामस्वरूप ने बताया कि होलिका दहन के दूसरे दिन होली केदूल्हे की बारात गांव में निकाली जाती है। यह परंपरा बहुत पुरानी है जिसमें पूरे गांव के लोग शामिल होते हैं।

होली के दूल्हे की बारात निकालने की परंपरा भी बड़ी ही अनोखी है, जिसमें गांव के ही एक व्यक्ति दूल्हा बनाकर उसे घोड़े पर बैठाया जाता है। फिर उसकी निकासी होती है। होली का दूल्हा बैण्डबाजे के साथ गांव के हर घर-घर जाता है जहां महिलाएं दूल्हे की टीका कर आरती करती है। उसे होली की मिठाई खिलाकर विदा किया जाता है। गांव के पूर्व सरपंच रामस्वरूप व जय सिंह सहित तमाम लोगों ने बताया कि होली के दूल्हे की बारात में एक दर्जन घोड़े शामिल किए जाते है। बारात भी बाजार के मैदान से शुरू होती है।

बारात निकलने से पूर्व दूल्हा मंदिरों में टेकता हैै माथा

गांव के पूर्व सरपंच ने बताया कि होली के दूल्हे की बारात निकालने से पूर्व दूल्हा राजा गाजेबाजे के साथ गांव के सभी मंदिर जाता है, जहां वह देवी देवताओं की पूजा करने के बाद फिर बारात लेकर गांव में घूमता है। बताया कि होली के दूल्हे की बारात निकालने के बाद ही गांव में होली की मस्ती शुरू होती है। बताया कि होली के दूल्हे की बारात के पीछे होली खेलने वाले भी जमकर डांस करते है। बारात में शामिल घोड़े भी ढोल नगारों की धुन में थिरकते है। दूल्हे की बारात का समापन होते ही रंग और गुलाल का दौर चलता है।

हिरणाकश्यप वध के साथ होता है लीलाओं का मंचन

पूर्व सरपंच रामस्वरूप ने बताया कि सैकड़ों साल पुरानी परम्परा में इसी गांव में होली के दूल्हे की बारात निकालकर गांव के लोग धमाल करते है। बाद में हिरणाकश्यप वध की लीलाओं का मंचन होता है। बताया कि गांव में अन्य तमाम लीलाओं का भी मंचन होगा जिसे देखने के लिए आसपास के गांवों से भी बहुत लोग आते है। पूर्व सरपंच का कहना है कि जरिया ही ऐसा गांव है जहां सामूहिक रूप से गांव के सभी लोग एक जगह एकत्र होकर होली का त्योहार मनाते है। सुरक्षा के लिए युवकों की टोलियां मुस्तैद रहती है।

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