कांग्रेस में सामने आया वैचारिक मतभेद
नई दिल्ली। एक तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी जाति जनगणना को लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाए हुए हैं और कांग्रेस की तरफ से सोशल मीडिया पर एक खास कैंपेन चल रहा है, ‘गिने नहीं जाओगे, तो सुने नहीं जाओगे!’ वहीं दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्लूसी) के सदस्य आनंद शर्मा राहुल गांधी के इस विचार से बिल्कुल सहमत नहीं हैं। आनंद शर्मा का मानना है कि जातिगत जनगणना न तो रामबाण हो सकती है और न ही बेरोजगारी और प्रचलित असमानताएं इससे दूर हो सकती हैं। आनंद शर्मा ने कहा कि यह महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय है जिसके दूरगामी राष्ट्रीय परिणाम है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे एक पत्र में आनंद शर्मा ने राहुल गांधी के जाति जनगणना अभियान की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि पार्टी का मौजूदा रुख पिछली कांग्रेस सरकारों पर आरोप के तौर पर सामने आएगा। साथ ही, इससे कांग्रेस के राजनीतिक विरोधियों को उस पर कीचड़ उछालने का मौका भी मिल जाएगा। आनंद शर्मा ने जाति आधारित जनगणना पर केंद्रित कांग्रेस के चुनाव अभियान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, ‘.मेरी विनम्र राय में, इसे इंदिरा जी और राजीव जी की विरासत का अनादर करने के रूप में गलत समझा जाएगा। ’ 1980 में इंदिरा गांधी ने चुनावी नारा दिया था- न जात पर न पात पर, मुहर लगेगी हाथ पर. साल 1990 में राजीव गांधी ने जातिवाद को चुनावी मुद्दा बनाने का विरोध किया था। ऐतिहासिक रूख से पलटना बहुत सारे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए चिंता करने वाला है इस पर विचार करने की जरूरत है। अगर संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों में जातिवाद को मुद्दा बनाया गया तो हमें समस्या होगी। कांग्रेस इस देश को विभाजित होते हुए नहीं देख सकती।’
कांग्रेस को इस रूख से बचना चाहिए
आनंद शर्मा ने लिखा, “एक जन आंदोलन के रूप में कांग्रेस ने हमेशा राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर आंतरिक चर्चा और बहस की और सामाजिक मुद्दों पर नीतियां बनाने को प्रोत्साहित किया है। ..सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन हमेशा सकारात्मक कार्रवाई के लिए एकमात्र मार्गदर्शक मानदंड रहा है।आनंद शर्मा ने कहा कि एक समावेशी दृष्टिकोण वाली पार्टी के रूप में, कांग्रेस को राष्ट्रीय सर्वसम्मति के निर्माता के रूप में अपनी भूमिका को फिर से हासिल करने और एक सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी की अभिव्यक्ति संतुलित होनी चाहिए और क्षेत्रीय तथा जाति आधारित संगठनों के कट्टरपंथी रुख से बचना चाहिए। उन्होंने लिखा कि उनका पत्र पारदर्शिता, लोकतांत्रिक चर्चा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की उस भावना के अनुरूप है जिसमें कांग्रेस हमेशा विश्वास करती थी।
जातिगत जनगणना हम कराएंगे- राहुल गांधी
आपको बता दें कि राहुल गांधी अपनी न्याय याात्रा के दौरान लगातार जाति जनगणना के मुद्दे पर बोलते रहे हैं। कुछ समय पहले उन्होंने X पर लिखा, ‘आजकल प्रधानमंत्री कहते हैं देश में सिर्फ दो जातियां हैं – अमीर और गरीब. जब न कोई पिछड़ा है, न कोई दलित है और न कोई आदिवासी, तो फिर इतने सालों तक मोदी जी ने खुद को OBC क्यों कहा? इसलिए अब इधर उधर की बातें नहीं-गिनती होगी। सामाजिक और आर्थिक न्याय दिलाने के लिए…गिनती होगी। कमज़ोरों और वंचितों को मुख्यधारा में लाने के लिए…गिनती होगी। भाजपा सरकार अपने दिन गिने, जातिगत गिनती हम कराएंगे। ‘
000000

