-सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जानकारी, चुनाव आयोग ने पोर्टल में किया अपलोड
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने चुनावी बॉन्ड का विस्तृत डाटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। इसके बाद चुनाव आयोग ने इसे अपनी ऑफिशियल वेसबाइट पर अपलोड भी कर दिया है। दरअसल, इससे पहले तक एसबीआई से अधूरा डाटा उपलब्ध कराया था, जिसमें सिर्फ बॉन्ड खरीदने वाले और भुनाने वाले की जानकारी ही थी।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए और कहा कि बैंक पूरी जानकारी उपलब्ध कराएं। कोर्ट ने बैंक से वह जानकारी भी सार्वजनिक करने को कहा, जिसमें यह पता लग सके कि किसने किस पार्टी को बॉन्ड के जरिए कितना चंदा दिया। अब यह जानकारी भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अब सार्वजनिक हो गई है। यानी अब कोई भी यह देख सकता है कि किस व्यक्ति या कंपनी ने किस पार्टी को कितने रुपए का चंदा दिया है। इसके लिए बॉन्ड के यूनिक कोड को सर्च करके पता किया जा सकता है कि उस बॉन्ड को किस पार्टी द्वारा भुनाया गया है।
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चुनावी बॉन्ड भुनाने वाली पार्टियों की पूरी लिस्ट
एसबीआई चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया था कि हमने कोर्ट के आदेश के मुताबिक चुनावी बॉन्ड्स से जुड़ी सारी जानकारी तय समय सीमा 21 मार्च शाम पांच बजे से पहले ही उपलब्ध करा दी है। इस जानकारी में बॉन्ड का अल्फा न्यूमेरिक नंबर यानी यूनिक नंबर, बॉन्ड की कीमत, खरीददार का नाम, भुगतान पाने वाली पार्टी का नाम, पार्टी के बैंक एकाउंट की आखिरी चार डिजिट नंबर, भुनाये गए बॉन्ड की क़ीमत और नंबर शामिल है। साइबर सिक्युरिटी के मद्देनजर राजनीतिक पार्टी का पूरा बैंक खाता नंबर, पार्टी और बॉन्ड खरीदने वाले की केवाईसी डिटेल्स सार्वजनिक नहीं की गई है।
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क्या है यूनिक कोड?
इलेक्टोरल बॉन्ड शुरू से ही विवादों में रहा था। इसकी ट्रांसपेरेंसी पर चौतरफा सवालों के बाद दिसंबर 2021 में लोकसभा में वित्त मंत्रालय ने कुबूल किया था, चुनावी बॉन्ड पर छिपे हुए अल्फान्यूमेरिक नंबर किसी भी जाली इलेक्टोरल बॉन्ड की प्रिंटिंग या उसके एनकैशमेंट को रोकने के लिए एक आंतरिक सुरक्षा देता है।
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निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक से इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने दो नये निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिकाएं गुरुवार को खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि चुनाव नजदीक हैं और इससे ‘अव्यवस्था और अनिश्चितता’ की स्थिति बनेगी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यालय शर्तें) अधिनियम, 2023 पर भी अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि वह अधिनियम, 2023 की वैधता को चुनौती देने वाली मुख्य याचिकाओं पर गौर करेगी। पीठ ने केंद्र से छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त को नियत की। नये कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से पीठ ने कहा, इस समय हम कानून पर रोक नहीं लगा सकते।
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