-नियमों पर रोक लगाने की मांग
नई दिल्ली। केरल सरकार ने नागरिकता (संशोधन) नियम 2024 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सीएए के नियमों पर रोक लगाने की मांग की है। राज्य सरकार ने अदालत में याचिका दायर कर दलील दी है कि सीएए के नियम भेदभावपूर्व, मनमाने और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। केंद्र ने संसद की ओर से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को पारित करने के करीब चार साल बाद हाल में 11 मार्च को कानून के नियमों की अधिसूचना जारी करने के साथ इसके कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त कर दिया था. इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।
नियमों को बताया भेदभावपूर्ण, मनमाना, अतार्किक
केरल सरकार ने सीएए नियमों को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए कहा कि धर्म और देश के आधार पर वर्गीकरण भेदभावपूर्ण, मनमाना, अतार्किक और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया, “तथ्य यह है कि प्रतिवादी (संघ) को 2019 अधिनियम के कार्यान्वयन में कोई तात्कालिकता नहीं थी, जो 2024 के नियमों पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त कारण है। “केरल सरकार ने कहा कि संशोधन अधिनियम और नियम और आदेश श्रीलंका, म्यांमार और भूटान जैसे अन्य देशों के प्रवासियों के साथ भेदभाव करने में किसी भी मानक सिद्धांत या मानदंड से रहित हैं, जो भारत के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा कर रहे हैं और जहां से सीमा पार प्रवास हुआ है।
एक क्लास लेजिसलेशन
केरल ने कहा कि नियम एक क्लास लेजिसलेशन है जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय के सदस्यों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया को तेज करता है।
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