सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक से इंकार

-सीजेआई को बाहर करने पर सरकार से पूछा सवाल

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अब इस मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी। जस्टिस संजीव खन्ना, दीपांकर दत्ता और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहाकि कोर्ट अंतरिम आदेशों के जरिए इस पर रोक नहीं लगा सकती। हालांकि कोर्ट ने इस बात पर सहमति जताई कि केंद्र सरकार को इस बात का जवाब देना होगा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले पैनल से चीफ जस्टिस को बाहर क्यों रखा गया।

यह बेंच मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को नियंत्रित करने के लिए हाल ही में लागू कानून को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस कानून को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत है। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त नियुक्ति प्रक्रिया में भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने की मांग की गई थी। अनूप बरनवाल मामले में फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा था कि पैनल में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होने चाहिए। वहीं, नए कानून में सीजेआई की जगह कैबिनेट मंत्री को बतौर सदस्य रखा गया है।

मांगी थी प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर और अन्य ने इस मामले में कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी। हालांकि उसने दो बार कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इस बीच चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता फिर से शीर्ष कोर्ट पहुंचे और मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहाकि नए कानूनों का इस्तेमाल करते हुए नियुक्तियां नहीं होनी चाहिए। इस बीच सेलेक्शन पैनल की बैठक हुई और उसने गुरुवार को पूर्व आईएएस सुखबी सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार को चुनाव आयुक्त के रूप में चुन लिया।

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