पूर्व आईएएस अधिकारी ज्ञानेश व संधू निर्वाचन आयुक्त नियुक्त

-विधि एवं न्याय मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

  • पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला

-कानून मंत्री व नेता विपक्ष अधीर रंजन बैठक में शामिल

नई दिल्ली। चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर गुरुवार को फैसला हो गया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारियों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू को नया निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया है। विधि एवं न्याय मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर इसकी घोषणा कर दी है। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 7 लोक कल्याण मार्ग में बैठक हुई जिसमें दोनों नामों पर सहमति बन गई है। बैठक में कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी हिस्सा लिया। नियम के मुताबिक चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के अलावा दो चुनाव आयुक्त होते हैं। एक चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे 14 फरवरी में रिटायर हो गए थे। दूसरे अरुण गोयल ने 8 मार्च की सुबह अचानक इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 9 मार्च को स्वीकार कर लिया। तीन सदस्यीय चुनाव आयोग में सीईसी राजीव कुमार ही अकेले बचे थे।


ज्ञानेश सहकारिता मंत्रालय से रिटायर

बता दें कि ज्ञानेश कुमार कुछ दिनों पहले ही सहकारिता मंत्रालय के सचिव पद से रिटायर हुए हैं। ज्ञानेश कुमार ने जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाहै। गृह मंत्रालय के साथ काम करते हुए उनकी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक की तैयारी में भी सक्रिय भूमिका रही। गृह मंत्रालय में ज्ञानेश पदोन्नत होकर एडिशनल सेक्रेटरी भी बने थे। वह 1988 बैच के केरल काडर के आईएएस ऑफिसर हैं।

1988 बैच के हैं संधू

पूर्व आईएएस अधिकारी सुखबीर संधू को जुलाई 2021 में ओम प्रकाश की जगह उत्तराखंड का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था। 1988 बैच के आईएएस अधिकारी संधू भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अध्यक्ष के रूप में केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर थे। संधू पिछले साल 30 सितंबर को उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।

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अधीर ने उठाए नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर नाराजगी जताई है. उन्होंने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल उठाए हैं। विपक्ष नेता अधीर रंजन ने कहा कि इनकी ईमानदारी और तजुर्बा जांचना मेरे लिए असंभव है। मैं इस प्रक्रिया का विरोध करता हूं। मुझे बहुत ही अव्यावहारिक तरीके से नियुक्ति में शामिल होने के लिए कहा गया है. पहले 212 नामों की एक लंबी लिस्ट थमाकर सिर्फ एक रात का वक्त दिया और फिर अगली सुबह सिर्फ 6 नाम सामने रख दिए। ये सिर्फ 10 मिनट पहले हुआ है. अधीर रंजन चौधरी ने सवाल किया है कि, इतने कम समय में सभी का प्रोफाइल जांचना असंभव था। इस समिति में चयन के लिए सरकार के पास बहुमत था, ये होना ही था। ये औपचारिकता है। अगर सीजेआई होते तो बात अलग थी।

अधीर की पांच आपत्तियां

पहली आपत्तिः पहले ईसी के चयन को लेकर एक मीटिंग बुलाई गई थी, लेकिन वह मीटिंग रद्द हो गई थी।

दूसरी आपत्तिः मैंने चिट्ठी लिखकर कहा था, पांच नाम शॉर्टलिस्ट करके दीजिए।

तीसरी आपत्तिः नाम शेयर करने के लिए कहा था, लेकिन नाम शेयर नहीं किए गए।

चौथी आपत्तिः अधीर रंजन चौधरी रात को बंगाल से दिल्ली पहुंचे, तब उन्हें 212 नाम की लिस्ट दे दी गहै।

पांचवीं आपत्तिः अधीर रंजन चौधरी सुबह मीटिंग में पहुंचे और उन्हें छह नाम दे दिए गए और कहा गया कि इननें में से चयन कर लीजिए। ऐसे में अधीर रंजन चौधरी ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए।

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