सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिशन ने अपने ही अध्यक्ष के खिलाफ खोला मोर्चा

-अग्रवाल द्वारा राष्ट्रपति को लिखे पत्र से खुद को अलग कर लिया

(फोटो : बार)

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की कार्यकारी समिति ने मंगलवार को एससीबीए प्रमुख आदीश सी अग्रवाल द्वारा राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र से खुद को अलग कर लिया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रमुख आदिश अग्रवाल ने एक असामान्य घटनाक्रम में मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर उनसे चुनावी बॉण्ड योजना संबंधी फैसले के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय से परामर्श लेने का आग्रह किया था। बार एसोसिएशन ने पत्र की भाषा की भी निंदा की है और इसे सर्वोच्च न्यायालय के ‘अधिकार को खत्म करने और कमजोर करने का प्रयास’ बताया।

राष्ट्रपति से पत्र में यह मांग

अग्रवाल ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने न्यायालय से यह भी आग्रह करने का अनुरोध किया कि जब तक शीर्ष अदालत मामले की दोबारा सुनवाई न कर ले, तब तक संबंधित फैसले पर अमल न किया जाए। अग्रवाल ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा है, ‘‘अगर कॉरपोरेट घरानों के नाम और विभिन्न दलों को दिये गये चंदे की राशि का खुलासा किया जाता है, तो कम चंदा पाने वाले दलों द्वारा इन्हें निशाना बनाए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है और उन्हें परेशान किया जाएगा। यह (कॉरपोरेट कंपनियों से) स्वैच्छिक चंदा स्वीकार करते वक्त उनके साथ किये गये वादे से मुकरने जैसा होगा।’

एसोसिएशन ने की निंदा

हालांकि यह पत्र ‘ऑल इंडिया बार एसोसिएशन’ के लेटरहेड पर छपा था, लेकिन इसमें अग्रवाल के हस्ताक्षर के नीचे उनका पदनाम ‘एससीबीए अध्यक्ष’ लिखा था। इसके खिलाफ एससीबीए सचिव रोहित पांडे ने प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने प्रस्ताव में लिखा, “इसलिए, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति के लिए यह स्पष्ट करना जरूरी हो गया है कि समिति के सदस्यों ने न तो राष्ट्रपति को ऐसा कोई पत्र लिखने के लिए (अध्यक्ष को) अधिकृत किया है और न ही वे उसमें व्यक्त किए गए उनके विचारों से सहमत हैं।”

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