10 साल की जेल और 1 करोड़ जुर्माना जैसे सख्त प्रावधान

  • लोकसभा से पास हुआ पेपर लीक के खिलाफ बिल

नई दिल्ली। लोकसभा में सरकार ने पेपर लीक के खिलाफ बिल पास हो गया है। सरकार ने इस बिल को सोमवार को सदन में पेश किया था। यह बिल परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक करने के दोषियों को दंडित करने के लिए लाया गया नया विधेयक है। इसमें स्कूल परीक्षा से लेकर, कॉलेज परीक्षा और सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षा भी शामिल है। इस बिल में सरकार ने दोषियों के खिलाफ बेहद सख्त प्रावधान लागू किए हैं। दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की जेल और एक करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। सरकार ने 6 फरवरी को लोकसभा में पेपर लीक के खिलाफ नया विधेयक पास कर लिया है। अब इसे उच्च सदन में पेश किया जाएगा और फिर राष्ट्रपति की औपचारिक मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। पेपर लीक के खिलाफ यह बिल उन छात्रों के लिए राहत है, जो साल भर मेहनत के बाद इस उम्मीद से पेपर देते हैं कि वे परीक्षा में उत्तीर्ण होकर अपने पैरों पर खड़े होंगे। हालांकि कई दफे पेपर लीक हो जाने से छात्रों की उम्मीदें धरी की धरी रह जाती हैं।

विधेयक में कई सख्त प्रावधान

इस विधेयक के तहत, परीक्षा के पेपर लीक करने या उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ करने वाले पकड़े जाते हैं तो उन्हें दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगेगा। गौरतलब है कि इस विधेयक के तहत सभी अपराध गैर-जमानती होंगे। साथ ही पुलिस को अपने दम पर कार्रवाई करने और बिना वारंट के संदिग्धों को गिरफ्तार करने का अधिकार होगा। कथित अपराधों को समझौते के माध्यम से नहीं सुलझाया जा सकेगा।

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डीएमके सांसद ने केंद्रीय मंत्री को बताया ‘अयोग्य’, संसद में हंगामा

नई दिल्ली। तमिलनाडु के लिए केंद्र की बाढ़ सहायता पर चर्चा लोकसभा में बड़े विवाद में बदल गई। डीएमके नेता टीआर बालू ने केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘सांसद या मंत्री बनने के लिए अयोग्य’ करार दिया। वहीं बीजेपी ने पलटवार करते हुए डीएमके सांसद पर दलित मंत्री का अपमान करने का आरोप लगाया और उनसे माफी की मांग की। जब टीआर बालू बोल रहे थे, तब तमिलनाडु से केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन ने हस्तक्षेप किया और टिप्पणी की कि द्रमुक सदस्य ‘बेमतलब’ का सवाल पूछ रहे हैं। इस पर नाराज होकर बालू ने कहा, “उन्हें (मुरुगन) कुछ अनुशासन जानना चाहिए। आप संसद सदस्य और मंत्री बनने के योग्य नही हैं। आपके पास हमारा सामना करने की हिम्मत नहीं है, हम आपको सिखाएंगे। इस पर भाजपा की ओर से भी कड़ी प्रतिक्रिया आई।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी खड़े हुए और सवाल किया कि टीआर बालू जैसा वरिष्ठ नेता एक मंत्री को ‘अयोग्य’ कैसे कह सकता है। जोशी ने कहा, “आप उन्हें अयोग्य कैसे कह सकते हैं? ये अनुचित है। वहीं कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, “ये अच्छा नहीं है। आप एक मंत्री को अयोग्य कैसे कह सकते हैं? आपको ये टिप्पणी वापस लेनी चाहिए। आपको माफी मांगनी चाहिए। वो एक दलित मंत्री हैं। आप दलितों का अपमान कर रहे हैं। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। ” मेघवाल ने ये भी कहा कि द्रमुक सांसद ने सदन में ‘असंसदीय’ शब्द का इस्तेमाल किया है।

प्रह्लाद जोशी ने कहा, “आपको सवाल करने का अधिकार है, लेकिन आप हमारे मंत्री को अयोग्य नहीं कह सकते. आप ऐसा करने वाले कौन होते हैं?”

भाजपा और द्रमुक दोनों सदस्यों ने एक-दूसरे पर कटाक्ष किए और नारे लगाए, जिससे शोर-शराबा शुरू हो गया। हंगामा शांत होने के बाद, टीआर बालू ने फिर से कहा, ”वो राजनीति में रहने के लिए अयोग्य हैं। ” इसके बाद हंगामे का एक और दौर शुरू हो गया।

घटना पर डीएमके सांसद राजा ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात की. उन्होंने कहा कि पार्टी के सदस्य इसलिए उत्तेजित थे, क्योंकि बाढ़ राहत पर सवालों पर केंद्र का जवाब टालमटोल करने वाला और गैर-जिम्मेदाराना था. उन्होंने कहा, “टीआर बालू कुछ सवाल पूछना चाहते थे, लेकिन एल मुरुगन ने उन्हें ये कहते हुए रोक दिया कि तमिलनाडु की मांगें उचित नहीं हैं। ” तब हमने कहा, ‘आप तमिलनाडु से सांसद बनने के लायक नहीं हैं, क्योंकि आप इसके हितों के खिलाफ हैं। ‘

टीआर बालू ने एएनआई को बताया कि उनका प्रश्न मुरुगन के मंत्रालय से संबंधित नहीं है। उन्होंने कहा, “वो तमिलनाडु से हैं। इसलिए हमने कहा कि आप गद्दार हैं। उन्होंने तमिलनाडु के हितों के खिलाफ बात की.” मुरुगन राज्यसभा सांसद और सूचना एवं प्रसारण, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री हैं।

द्रमुक नेता ने कहा कि ‘अयोग्य’ कोई असंसदीय शब्द नहीं है। भाजपा के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि उन्होंने दलितों का अपमान किया है, डीएमके सांसदों ने कड़ा विरोध किया, राजा ने कहा, “मैं भी एक दलित हूं.”

वहीं तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख ने इस बयान पर टीआर बालू की आलोचना करते हुए कहा कि वो राजनीति के लिए अपमानजनक हैं और ये पहली बार नहीं है कि उन्होंने अनुसूचित जाति समुदाय के किसी सदस्य के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की है।

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