पटाखा फैक्ट्री में धमाका, 11 की मौत, 200 घायल

हरदा में हाहाकार, जान बचाने भागे लोग

–मप्र के सीएम मोहन ने ली बैठक, जांच के आदेश, मृतक के परिजनों को 4-4 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान

हरदा/भोपाल। मप्र के हरदा शहर में मंगलवार को एक पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के बाद आग लग गई। इस हादसे में करीब 11 लोगों की मौत हो गई, वहीं 200 अन्य घायल हो गए। घटना के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए, जिसमें घटनास्थल पर रुक-रुक कर हो रहे विस्फोटों के साथ आग लगने के बीच लोग खुद को बचाने के लिए भागते नजर आ रहे हैं। वीडियो में कारखाने से निकलते धुएं के घरे गुबार दिखाई दे रहे हैं। यह घटना प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 150 किलोमीटर दूर हरदा शहर के बाहरी इलाके मगरधा रोड पर बैरागढ़ में हुई। अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) गृह संजय दुबे ने बताया, हरदा घटना में अब तक नौ लोगों के मौत की खबर है और लगभग 200 अन्य घायल हुए हैं। घायल खतरे से बाहर हैं। अधिकारियों के अनुसार विस्फोट का कारण अभी तक पता नहीं चला है और आग पर काबू पाने के प्रयास जारी हैं। घटना के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बैठक की और कहा कि बचाव कार्य के लिए हेलीकॉप्टर की व्यवस्था के लिए सेना से संपर्क किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने हादसे में घायलों को तत्काल उपचार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा, मैंने संबंधित अधिकारियों से बात की और घटना का विवरण मांगा है। उन्होंने कहा कि घटना के बारे में केंद्र को सूचित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने हादसे में मरने वाले के परिजनों को 4-4 लाख रुपए की सहायता देने की घोषणा की। यादव ने कहा कि घायलों के उपचार का पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार के मंत्री उदय प्रताप सिंह, अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी और होमगार्ड के महानिदेशक अरविंद कुमार को हेलीकॉप्टर से हरदा पहुंचने का निर्देश दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि वह इस त्रासदी में लोगों की मौत से बेहद दुखी हैं और शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति संवेदना व्यक्त करती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, मध्यप्रदेश के हरदा में एक पटाखा कारखाने में दुर्घटना के कारण लोगों की मौत से व्यथित हूं। मोदी ने प्रत्येक मृतक के परिजन को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।

रास्ते में लोगों को कट-कट कर लग रही थीं चीजें

प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार उनके साथ काम करने वाली महिला कर्मचारियों में से अपने बच्चों को साथ लेकर आई महिलाओं के तीन बच्चे ब्लास्ट के बाद से मिल नहीं रहे थे। उनके अनुसार बच्चे गेहूं की फसल के बीच मृत पड़े हैं और कुछ शव रेलवे लाइन के किनारे भी पड़े हुए थे। हालांकि, उनके कुछ साथी भाग कर करीब एक से डेढ़ किलोमीटर तक दूर तक चले गए थे, लेकिन रास्ते में धमाके की बहुत तेज-तेज आवाज आ रही थी और कई जगह लोगों को कई चीजें कट-कट कर लग रही थी। कई सारी गाड़ियां धमाके से फूट गई थीं।


पूरी जमीन हिल गई थी, चारों तरफ आग ही आग थी

ब्लास्ट में घायल हुई पटाखा फैक्ट्री की ही एक महिला कर्मचारी रुखसार बानो ने ब्लास्ट की आप बीती सुनाते हुए बताया कि अचानक से आवाज आई, बहुत जोर से ब्लास्ट होने की तो हम सब लोग एकदम से भगदड़ मचाए, सब बोले भागो-भागो। फिर हम लोग भागने लग गए और कंपनी से बाहर तो हम निकल गए थे। मगर धमाका बहुत तेज था, पूरी जमीन हिल गई थी और चारों तरफ आग ही आग थी। घायल रुखसार ने आगे बताया कि कंपनी में जिस वक्त ब्लास्ट हुआ, उस समय बहुत से लोग कम्पनी में काम कर रहे थे। कंपनी की चारों मंजिल पर काम हो रहा था और वहां सब अलग-अलग जोन में बैठे थे और सबका अलग-अलग काम था, जिसमें हमारा काम बत्ती पट्टी करना था और धमाके के समय हमारे हॉल में करीब डेढ़ सौ महिला कर्मचारी मौजूद थीं और उनके कुछ बच्चे भी साथ थे।

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