सोने से पहले चंद्रयान ने भेज दी चांद से आखिरी तस्वीर

  • एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) ने दी जानकारी
  • स्मार्ट लैंडर फॉर इंवेस्टिगेटिंग मून (स्लिम) हो गया है निष्क्रिय

(फोटो : चंद्रयान)

नई दिल्ली। भारत के चंद्रयान-3 ने पिछले साल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करके इतिहास रच दिया था। इसके बाद इस साल जापान के चंद्रयान ने भी चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली। अब जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) ने जानकारी दी है कि उसका स्मार्ट लैंडर फॉर इंवेस्टिगेटिंग मून (स्लिम) निष्क्रिय हो गया है यानी कि अब जापान का चंद्रयान चांद पर सो गया है। दरअसल, जापान का यान जिस क्रेटर पर उतरा, वहां अब रात हो गई है। सोने से पहले चंद्रयान ने कमाल करते हुए चांद की फोटो भेजी है, जोकि उसकी आखिरी मानी जा रही।

एसएलआईएम अंतरिक्ष यान, जो चंद्रमा की जांच के लिए स्मार्ट लैंडर का शॉर्ट नाम है, ने एक फरवरी को ऑनबोर्ड कैमरे से यह तस्वीर खींची है। इस तस्वीर में शिओली क्रेटर की ढलान पर छाया दिखाई दे रही है। एसएलआईएम के एक्स अकाउंट ने स्पेक्ट्रोस्कोपिक इमेजिंग के लक्ष्यों की लेबल वाली तस्वीरें भी पोस्ट कीं, जिनमें विभिन्न चट्टानों और रेगोलिथ को दिखाया गया है जिनके बारे में अधिक रिसर्च की जा रही है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने स्लिम के साथ फिर से संपर्क स्थापित करने के तीन दिन बाद यह तस्वीर जारी की। टीम ने पावर बचाने के लिए 20 जनवरी को रोबोटिक अंतरिक्ष यान को बंद कर दिया था, जोकि गलती से लैंडिंग के वक्त उलटा उतर गया था। चूंकि उस समय यान के सौर पैनल सही दिशा में नहीं थे, इसलिए लैंडर बिजली उत्पन्न करने में असमर्थ था।

वैज्ञानिकों को उम्मीद

शुरुआती समय में थोड़ी निराशा मिलने के बाद जापान के वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि कुछ दिनों के बाद सूर्य का एंगल बदल जाएगा, जिससे उसके यान का लैंडर फिर से चार्ज होकर जग सकता है। नौ दिनों के बाद ऐसा ही हुआ और स्लिम जग गया। वहीं, बीते सोमवार से अंतरिक्ष यान ने मल्टी-बैंड स्पेक्ट्रल कैमरे के साथ क्रेटर के चारों ओर चट्टानों का विश्लेषण किया है। जॉक्सा ने लैंडिंग स्थान इसलिए चुना क्योंकि यह वैज्ञानिकों को चंद्रमा के निर्माण के बारे में बता सकता है। एसएलआईएम के एक्स खाते ने एमबीसी के स्पेक्ट्रोस्कोपिक इमेजिंग के लक्ष्यों की लेबल वाली छवियां भी पोस्ट कीं, जिनमें विभिन्न चट्टानों और रेगोलिथ को दिखाया गया है जिनका अध्ययन किया जा रहा है।

अब लंबा इंतजार

जापानी चंद्रयान को अब फिर से पुनर्जीवित करने से पहले स्पेस एजेंसी जॉक्सा को लगभग 14.5-पृथ्वी-दिवस लंबी चंद्रमा की रात का इंतजार करना पड़ेगा, जिसकी शुरुआत 15 फरवरी के आसपास होगी। इतना ही नहीं, एजेंसी को अनुकूल प्रकाश और तापमान की स्थिति का भी इंतजार करना होगा। फिर से एक्टिव करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स को लगभग शून्य से 130 डिग्री सेल्सियस नीचे के चांद के तापमान का सामना करना होगा। हालांकि, जिस लक्ष्य के लिए जापान के यान को चांद पर भेजा गया था, उसने उतना समय और लक्ष्य हासिल कर लिया है।

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