-महाराष्ट्र के गर्देवाडा में 60 किमी पैदल चलकर बनाई चौकी
-यह क्षेत्र माओवादी कैडरों, उनके प्रशिक्षण शिविरों सहित विभिन्न गतिविधियों के लिए कुख्यात
(फोटो : पहली बार)
नई दिल्ली। भारत में लोकतंत्र की स्थापना को 75 साल बीत गए हैं, लेकिन सोमवार को पहली बार देश के एक हिस्से में पुलिस की पहुंच बन पाई। यह इलाका कोई सुदूर द्वीपीय या तटीय क्षेत्र नहीं है बल्कि महाराष्ट्र के ही गढ़चिरौली जिले का गर्देवाडा है। नक्सल प्रभावित इस इलाके में आज तक पुलिस की पहुंच नहीं थी। पहली बार यहां एक चौकी बन सकी है। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के सीमांत इलाके में स्थित इस जिले में नक्सलियों का बहुत ज्यादा प्रभाव रहा है और सुरक्षा बलों पर यहां भीषण हमले होते रहे हैं। अब जो चौकी यहां बनी है, वह माओवादियों के गढ़ अबूझमाड़ से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस लिहाज से नक्सलियों से निपटने के मामले में यह चौकी अहम होगी। इस पुलिस चौकी की स्थापना के लिए करीब 600 कमांडो गए थे।
अबूझमाड़ के करीब है यह इलाका
पूर्वी विदर्भ के सुदूर एटापल्ली तालुका में स्थित गार्डेवाड़ा पुलिस चौकी, अबूझमाड़ के करीब है और साथ ही सीमा के दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के कांकेर में मारबेड़ा पुलिस शिविर से 5.5 किमी दूर है। यह क्षेत्र माओवादी कैडरों, उनके प्रशिक्षण शिविरों, छपाई, सिलाई, हथियार और गोला-बारूद सहित विभिन्न गतिविधियों के लिए विनिर्माण इकाइयों के लिए कुख्यात है।
2019 से आया चर्चा में
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान गार्डेवाड़ा चर्चा में आया था, जब माओवादी विद्रोहियों ने तीन शक्तिशाली आईईडी विस्फोट करके मतदान को बाधित किया। गार्डेवाड़ा की सुदूर प्रकृति स्पष्ट है, क्योंकि ताडगुडा नाला का उफान इस क्षेत्र को हर साल छह महीने के लिए अलग कर देता है। उम्मीद है कि पुलिस चौकी से धारा पर एक पुल के निर्माण की सुविधा मिलेगी, जिससे गढ़चिरौली जिले से साल भर कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी।
12 मोबाइल फोन टावर जल्द
गढ़चिरौली के एसपी नीलोत्पल ने कहा कि महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में गट्टा-गार्डेवाड़ा-तोरगाटे-वांगेटुरी-मेंढरी-पनावर को जोड़ने वाली 38 किमी लंबी अंतरराज्यीय सड़क परियोजना को भी गति मिलने की उम्मीद है, जिसमें लगभग 20 किमी पहले ही पूरा हो चुका है। एक दर्जन मोबाइल फोन टावर भी शीघ्र स्थापित किये जाएंगे। नीलोत्पल के अनुसार, पुलिस चौकी से 750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में निगरानी बढ़ेगी, जिसे पहले माओवादियों का गढ़ माना जाता था। उन्होंने कहा, “पिछले एक साल में गढ़चिरौली में चार पुलिस चौकियों के खुलने से लगभग 2,000 वर्ग किमी की सुरक्षा शून्यता को प्रभावी ढंग से संबोधित किया गया है।”
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