नई दिल्ली। भारत में 1 जुलाई 2022 तक 14.9 करोड़ (कुल आबादी का 10.5 प्रतिशत) आबादी बुजुर्ग थी। यहां 2050 में बुजुर्ग आबादी बढ़कर 34.7 करोड़ (कुल आबादी का 20.8 प्रतिशत) हो जाएगी। यानी 2050 में हर पांच में एक शख्स बुजुर्ग होगा। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन सांइसेस एंड यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड द्वारा प्रकाशित इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 में यह जानकारियां दी गई हैं। जीवन प्रत्याशा में सुधार और प्रजनन दर में गिरावट के कारण दुनियाभर में आबादी की रूपरेखा बदल रही है। 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र वाली आबादी को वृद्ध माना जाता है। दुनियाभर में ऐसी आबादी 2022 के 110 करोड़ के मुकाबले 2050 में लगभग दोगुनी 210 करोड़ हो जाएगी। इस अवधि में यह वृद्धि विकसित देशों में 26% से बढ़कर 34% होगी, जबकि कम विकसित देशों में 11.5% से बढ़कर 20% होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो कम विकसित क्षेत्रों में बुजुर्ग आबादी 2022 में 77.2 करोड़ से बढ़कर 2050 में 170 करोड़ पहुंच जाएगी। 1950 में भारत की जीवन प्रत्याशा 35.21 थी और वर्ष 2100 में यह 81.96 प्रतिशत हो जाएगी।
देखभाल से बढ़ी जीवन प्रत्याशा
रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हुई चिकित्सा देखभाल, बेहतर आहार और स्वस्थ जीवन ने उच्च जीवन प्रत्याशा आंकड़ों में योगदान दिया है। लोगों को स्वच्छ पानी, एंटीबायोटिक्स और अधिक प्रचुर और पौष्टिक भोजन उपलब्ध है। लोग व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली के लाभों के बारे में भी अधिक जागरूक हैं।
एशिया और यूरोप में सबसे ज्यादा बुजुर्ग
एशिया और यूरोप दुनिया में सबसे ज्यादा बुजुर्ग आबादी का घर हैं। दक्षिणी यूरोप में क्रोएशिया, ग्रीस, इटली, माल्टा, पुर्तगाल, सर्बिया, स्लोवेनिया और स्पेन जैसे देश शामिल हैं, जहां 21% आबादी 65+ उम्र की है। चीन की 12% आबादी 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र की है। संयुक्त राज्य अमेरिका में यह हिस्सेदारी 16% और भारत में 10.5% है।
टीकाकरण सबसे महत्वपूर्ण
टीके का निर्माण सबसे महत्वपूर्ण बिंदुओं में से एक है। टीकाकरण विकसित होने से पहले चेचक और पोलियो जैसी बीमारियों से हर साल लाखों लोग मर जाते थे। दुनिया के कई क्षेत्रों में टीकाकरण ने कुछ बीमारियों को खत्म कर दिया है, जिससे मृत्यु दर में काफी कमी आई है। बेहतर सीवेज सिस्टम की बदौलत लोग अब पहले की तुलना में स्वच्छ वातावरण में रहते हैं। इसके अलावा एचआइवी, मलेरिया और तपेदिक जैसे रोगों के उन्मूलन के लिए दुनिया के पास एक बड़ा वैश्विक कोष है।
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