—अयोग्यता मामले में महाराष्ट्र स्पीकर का फैसला, बच गई शिंदे सरकार
—उद्धव गुट की याचिका को विधानसभा अध्यक्ष ने किया खारिज
— विधानसभा अध्यक्ष ने 16 विधायकों को ठहराया योग्य
इंट्रो
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने तगड़ा झटका दिया। महाराष्ट्र विधानसभा में स्पीकर राहुल नार्वेकर अयोग्यता मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव के पास नहीं था। शिंदे गुट ही असली शिवसेना है।
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मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार को कहा कि 21 जून, 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी समूहों का उदय हुआ तो शिवसेना का एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला धड़ा ही ‘असली राजनीतिक दल’ (असली शिवसेना) था। शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी धड़े द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला पढ़ते हुए नार्वेकर ने यह भी कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के सुनील प्रभु 21 जून, 2022 से सचेतक नहीं रहे। विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि शिवसेना के ‘प्रमुख’ के पास किसी भी नेता को पार्टी से हटाने की शक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को सौंपा गया 1999 का पार्टी संविधान मुद्दों पर फैसला करने के लिए वैध संविधान था। उन्होंने कहा कि इस संविधान के अनुसार ‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी’ सर्वोच्च निकाय है।
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स्पीकर बोले- फैसला निर्वाचन आयोग कर चुका
स्पीकर ने शिव सेना संविधान में नेतृत्व ढांचे की बात जोर देकर कही। उन्होंने कहा कि असली पार्टी का फैसला निर्वाचन आयोग कर चुका है। 2018 का लीडरशिप स्ट्रक्चर ही विश्वस्त है। उसमें पक्ष प्रमुख यानी पार्टी अध्यक्ष की व्याख्या की गई है। हमने भी उसे ही मान्यता दी है। वही उच्चतम पद है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 19 सदस्य होंगे। 14 चुने जाएंगे पांच मनोनीत होते हैं।
क्या है मामला
बता दें कि, करीब 18 महीने पहले शिंदे समेत 39 विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसकी वजह से 57 साल पुरानी पार्टी शिवसेना में विभाजन हो गया था और महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी। इस घटना के बाद दोनों गुटों ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थीं।
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उद्धव ठाकरे गुट के पास एक ही रास्ता
उद्धव ठाकरे गुट के पास सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्त बचा है। ठाकरे ने खुद ही पहले ऐलान कर दिया था कि स्पीकर का फैसला पक्ष में नहीं आता है तो वो सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे और विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को चुनौती देंगे। माना जा रहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करेंगे। हालांकि इस पर देश की सर्वोच्च कोर्ट क्या फैसला देती है और उस फैसले से ठाकरे को कितना लाभ होगा, यह तो समय ही बताएगा।
दल-बदल विरोधी कानून में बदलाव की मांग
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने बुधवार को दल-बदल विरोधी कानून में व्यापक बदलाव की जरूरत पर जोर देते हुए दावा किया कि निर्वाचित सदस्य ‘बेशर्मी से’ दल-बदल कर रहे हैं। दल-बदल विरोधी कानून (दसवीं अनुसूची) किसी राजनीतिक दल के सदस्यों, निर्दलीय सदस्यों और नामांकित सदस्यों द्वारा संसद या राज्य विधानसभाओं में दल-बदल की स्थितियों से निपटता है और सदस्य की अयोग्यता का आधार बनाता है।
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