46960 ने छोड़ी नौकरी, तो 1532 ने की खुदकुशी

-बीएसएफ, सीआरपीएफ सहित केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में बढ़ रहे मामले

नई दिल्ली। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में नौकरी छोड़ने (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) के मामले बढ़ रहे हैं। बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ और असम राइफल्स में पिछले पांच वर्ष के दौरान 46960 जवानों/अधिकारियों ने नौकरी छोड़ दी है। बीएसएफ में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मियों की संख्या 21860 है, जबकि सीआरपीएफ में यह आंकड़ा 12893 है। गत पांच वर्ष में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 654 से अधिक जवानों ने आत्महत्या कर ली है। साल 2011 से लेकर पिछले वर्ष तक 1532 खुदकुशी के मामले सामने आए हैं। कन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन ने उक्त मामलों में श्वेतपत्र जारी करने की मांग की है। इसके साथ ही एसोसिएशन ने उन कारणों का भी उल्लेख किया है, जिसके चलते किसी जवान को उक्त कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ता है।

आत्महत्याओं का दिल दहलाने वाला सिलसिला जारी

कन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह का कहना है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों में आत्महत्याओं का दिल दहलाने वाला सिलसिला जारी है। पिछले 13 वर्षों में जितने जवान शहीद हुए हैं, उनसे कहीं ज्यादा नफरी आत्मघाती कदम उठा कर जीवन लीला समाप्त करने वाले जवानों की है। अभी हाल ही में 155 बटालियन बीएसएफ के हवलदार मांगी लाल ने अफसरशाही से तंग आकर जीवन लीला समाप्त कर ली। उस मामले की जांच चल रही है। गत वर्ष 12 अगस्त से 4 सितंबर के बीच 10 जवानों द्वारा आत्महत्या करने के मामले प्रकाश में आए थे। बतौर रणबीर सिंह, ऐसे मामलों में विभागीय जांच के नाम पर लीपापोती होती है। यह कह कर पल्ला झाड़ लिया जाता है कि जवान अपनी किसी घरेलू समस्या के कारण परेशान था।

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