-आईसीएमआर ने किया अध्ययन
नई दिल्ली। स्तन कैंसर का पता चलने के बाद 10 में से छह महिला मरीज ही पांच वर्ष तक जीवित रहती हैं। हालांकि, यह स्थिति पूरे देश में एक जैसी नहीं है। हर राज्य में कैंसर पीड़ित महिलाओं के जीवित रहने की दर भिन्न है, जिसे लेकर विशेषज्ञों ने कैंसर स्वास्थ्य देखभाल को लेकर चिंता भी जताई है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और बंगलूरू स्थित राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान और अनुसंधान केंद्र (एनसीडीआईआर) ने देश में पहली बार 11 जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्रियां (पीबीसीआरएस) में पंजीकृत 17,331 स्तन कैंसर पीड़ित महिलाओं पर अध्ययन किया है। साल 2012 से 2015 के बीच पंजीकृत इन मरीजों पर जून 2021 तक विश्लेषण किया गया, जिसमें पता चला कि देश में स्तन कैंसर की बीमारी का पता चलने के पांच वर्ष तक महिलाओं के जीवित रहने की औसतन दर 66.40 फीसदी है, जो अलग-अलग राज्य में एक-दूसरे से भिन्न है। इसकी सबसे बड़ी वजह देश में एक जैसी कैंसर स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का उपलब्ध नहीं होना है।
अरुणाचल में सबसे कम जीवन
मेडिकल जर्नल अमेरिकन कैंसर सोसायटी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, मिजोरम में पांच साल तक जीवित रहने की दर 74.9 फीसदी, अहमदाबाद में 72.7 फीसदी, कोल्लम 71.5 फीसदी और तिरुवंतपुरम में 69.1 फीसदी हैं, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक हैं। अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में केवल 41.9 फीसदी महिलाएं ही पांच साल तक जीवित रह पाती है, जो देश में सबसे कम है।
देरी से पता चलना गंभीर
इसके बारे में नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की वरिष्ठ डॉ. नीरजा भाटला ने बताया कि कई बार मरीज को कैंसर का पता देरी से चलता है या फिर पता चलने के बाद उपचार में देरी एक गंभीर समस्या है। इसी तरह ऐसे भी मामले हैं, जिनमें इलाज के बावजूद कैंसर दूसरे अंगों तक फैलने से रोगी का जीवन जटिल हुआ है। एम्स की ओपीडी में ऐसे भी कई मामले हैं।
1.82 लाख मामले सामने आए
आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव के मुताबिक, महिलाओं में होने वाले कैंसर के 14 फीसदी मामले स्तन कैंसर से जुड़े हैं। एक अनुमान के अनुसार हर चार मिनट में एक भारतीय महिला में स्तन कैंसर का पता चलता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 2022 में 1.82 लाख नए मामले और 87,090 मौतें दर्ज की गईं।
जागरूकता व प्रभावी इलाज जरूरी
डॉ. प्रशांत माथुर, निदेशक, एनसीडीआईआर दिल्ली का कहना है कि स्तन कैंसर से बचने के लिए व्यापक कैंसर नियंत्रण नीतियों को प्रभावी रूप से लागू करना एक बेहतर समाधान हो सकता है। जागरूकता के साथ त्वरित जांच और किफायती मल्टी मॉडलिटी उपचार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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